“रिहाई नहीं, भ्रम है!” — निमिषा प्रिया केस पर बड़ा अपडेट

हुसैन अफसर
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भारतीय नर्स निमिषा प्रिया की यमन में फांसी की सजा रद्द होने की खबरें सुबह ANI समेत कई मीडिया चैनलों पर चलीं। दावा किया गया कि यमन की अदालत ने उनकी सजा स्थायी रूप से खत्म कर दी है और वह जल्द भारत लौट सकती हैं।

पर अब भारत सरकार ने इस पर सीधी और सख्त टिप्पणी कर दी है — “खबर झूठी है, सजा अब भी बरकरार है।”

विदेश मंत्रालय का बयान: “कानूनी प्रक्रिया अभी जारी है”

29 जुलाई 2025 को भारत के विदेश मंत्रालय (MEA) ने स्पष्ट किया कि निमिषा की सजा अब भी प्रभावी है और कोई रिहाई तय नहीं हुई है।

मंत्रालय ने कहा:

“सोशल मीडिया पर चल रही अफवाहें गलत हैं। यमन प्रशासन से बातचीत जारी है, लेकिन किसी भी तरह की छूट या रिहाई अभी नहीं मिली है।”

कौन फैला रहा था भ्रम?

Save Nimisha Priya International Action Council’ के सदस्य सैमुअल जेरोम, जिन्होंने पहले निमिषा को बचाने के लिए $58,000 की रकम जुटाई थी, अब एकदम अलग सुर में हैं। उन्होंने अपनी फेसबुक पोस्ट में महदी के पक्ष में बयान दिया और रिहाई की खबर को “भ्रामक” कहा।

  • वे ही निमिषा की मां प्रेमा कुमारी को यमन लेकर गए थे

  • लेकिन अब वे इस मिशन से पीछे हट गए हैं

  • उनकी पोस्ट का लहजा अब अभियुक्त के परिवार को सहानुभूति देता नज़र आ रहा है

ANI और अन्य मीडिया पर सवाल

सुबह लगभग 12:30 बजे ANI ने रिपोर्ट दी कि सजा रद्द हो चुकी है। इसी आधार पर अन्य मीडिया चैनलों ने खबर चलाई, लेकिन यह आधिकारिक पुष्टि के बिना किया गया।

विदेश मंत्रालय का संकेत साफ था:

“सरकारी पुष्टि के बिना ऐसी खबरें न चलाई जाएं। यह संवेदनशील मामला है और इससे अभियान को नुकसान हो सकता है।”

https://www.facebook.com/bdalftahmhdy.649144/videos/1746909472698632/?ref=embed_post

ग्लोबल पीस इनिशिएटिव का दावा भी फेल?

डॉ. केए पॉल, जिन्होंने खुद को भारत और यमन के बीच मध्यस्थ बताया था, ने 22 जुलाई को एक वीडियो में कहा था कि “निमिषा की सजा रद्द हो गई है।” अब यह बयान भी सवालों के घेरे में है।

संवेदनशील मामलों में ‘ब्रेकिंग न्यूज़’ नहीं, ‘जांच’ ज़रूरी

निमिषा प्रिया की ज़िंदगी एक गंभीर विषय है, ना कि किसी “TRP हंटिंग हेडलाइन” का हिस्सा।

  • मौत की सजा अब भी कायम है

  • सरकार लगातार कानूनी और मानवीय प्रयास कर रही है

  • भ्रामक खबरों से परिवार और डिप्लोमैटिक बातचीत दोनों को नुकसान पहुंचता है

अब इंतजार है यमन की अंतिम कानूनी प्रक्रिया का, और इस बार हम सबको इंतजार करना चाहिए सिर्फ एक चीज़ का — सच की पुष्टि।

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