डिप्लोमैसी का नया नाम – शहबाज़ ग्लोबल कनेक्शन प्राइवेट लिमिटेड

हुसैन अफसर
हुसैन अफसर

भारत-पाकिस्तान के बीच हुए हालिया सैन्य संघर्ष के बाद पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज़ शरीफ़ ने अपनी शांति और समर्थन तलाशने वाली ‘फॉरेन टूर सीरीज’ का आगाज़ कर दिया है। नहीं, ये कोई नेटफ्लिक्स डॉक्यूमेंट्री नहीं, बल्कि असली कूटनीति है — जिसमें अगला एपिसोड कभी तुर्की में है, तो कभी अज़रबैजान में।

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तुर्की में शहबाज़: शुक्रिया अदा या PR स्टंट?

शरीफ़ साहब की इस पांच दिवसीय ‘ग्लोबल पीस टूर’ की शुरुआत हुई तुर्की से। यहां उन्होंने राष्ट्रपति अर्दोआन को गले लगाकर उनका शुक्रिया अदा किया। क्यों? क्योंकि जब भारत ने पाकिस्तान में एयरस्ट्राइक की, तब अर्दोआन खुलकर उनके पक्ष में बोले थे।”शुक्रिया तुर्की! आपके ड्रोन हमारे काम आए,” शरीफ़ साहब ने नहीं कहा… लेकिन भारत के कुछ रणनीतिकारों ने ज़रूर कहा कि हमला करने वाले ड्रोन तुर्की के थे।

ईरान में शरीफ़ बोले: बातचीत चाहते हैं, बस मिसाइलें शांत रहें!

फिर शरीफ़ साहब ईरान पहुंचे और राष्ट्रपति मसूद पेज़ेश्कियान से गले मिलते हुए बोले,हमें बातचीत करनी है, जल विवाद सुलझाने हैं, और हां — कश्मीर भी…”

शराफ़त से बोले तो सही, लेकिन ये दावा भी किया कि पाकिस्तान इस संघर्ष में “विजयी” रहा। (जी हां, शांति यात्रा के बीच ये डायलॉग थोड़ा आउट ऑफ स्क्रिप्ट लग सकता है!)

अज़रबैजान: नया दोस्त, नया मंच

अब शरीफ़ अज़रबैजान में हैं, जो पाकिस्तान का नया बेस्ट फ्रेंड बनकर उभरा है। युद्ध के दौरान अज़रबैजान ने भी पाकिस्तान के पक्ष में बयान जारी किया और भारत के हमले की निंदा की। और अब दोनों देशों के बीच रक्षा और ऊर्जा सहयोग पर बात होगी। यानी मिशन सपोर्ट जारी है।

भारत भी बैठा नहीं: सात प्रतिनिधिमंडल, 32 देशों की यात्रा!

वहीं भारत ने भी इस ‘कूटनीतिक सीरीज’ का जवाब बड़े ही ‘नेटवर्किंग लेवल’ पर दिया है। सात प्रतिनिधिमंडल, जिनमें बीजेपी, कांग्रेस, डीएमके, एआईएमआईएम जैसे सभी दलों के सांसद शामिल हैं — अब अमेरिका से लेकर स्लोवेनिया और कतर से लेकर कांगो तक पहुंचे हैं।

शशि थरूर, बैजयंत पांडा, सुप्रिया सुले… ये सब अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भारत का पक्ष रख रहे हैं और बता रहे हैं कि “हमारा ऑपरेशन सिंदूर क्यों ज़रूरी था।”

राजनीति का वर्ल्ड टूर

इस पूरे घटनाक्रम को देखकर लगता है जैसे दोनों देशों ने मिलकर UN को एक ‘टिकट टू टॉक शो’ बना दिया है। शरीफ़ साहब कभी इस्तांबुल में फोटो खिंचवा रहे हैं, तो थरूर साहब न्यूयॉर्क में ‘शांति की कविता’ पढ़ रहे हैं।अगला एपिसोड? शायद “डबलिन डायलॉग्स: इंडिया-पाकिस्तान पैनल डिस्कशन!”

कूटनीति की जंग अब डिप्लोमैटिक रनवे पर

भारत और पाकिस्तान दोनों ही अपने-अपने तरीके से दुनिया को समझाने में लगे हैं कि ‘हम सही थे’। फर्क बस इतना है कि भारत गंभीरता के साथ ग्राउंडवर्क कर रहा है, और पाकिस्तान ग्लोबल एल्बम तैयार कर रहा है।

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