“RSS ≠ BJP!” मोहन भागवत ने मिथकों पर लगाया फुल स्टॉप

गौरव त्रिपाठी
गौरव त्रिपाठी

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) को लेकर राजनीति, सत्ता और पार्टी-टैगिंग की जो धारणाएं वर्षों से चल रही हैं, उन पर RSS प्रमुख मोहन भागवत ने अब खुलकर बात की है।
कोलकाता में आयोजित ‘व्याख्यान माला’ कार्यक्रम के दौरान भागवत ने साफ शब्दों में कहा— “संघ को केवल राजनीति या किसी पार्टी से जोड़कर देखना न सिर्फ गलत है, बल्कि संघ की मूल आत्मा को न समझ पाने का संकेत भी है।”

RSS = Political Wing? भागवत बोले – “Big Misunderstanding”

भागवत ने बिना किसी राजनीतिक नाम लिए स्पष्ट किया कि RSS को केवल BJP की ‘पैरेंट बॉडी’ कहना एक अधूरा और सतही विश्लेषण है। उनके अनुसार, संघ का फोकस सत्ता नहीं, समाज निर्माण है।

समझिए— अगर संघ सिर्फ राजनीति करता, तो शाखाओं में योग नहीं, चुनावी भाषण होते।

संघ की असली पहचान क्या है?

RSS प्रमुख के अनुसार संघ का मूल उद्देश्य है:
सज्जन नागरिकों का निर्माण
नैतिकता, अनुशासन और सेवा भावना
राष्ट्रहित को सर्वोपरि रखना

यह कोई NGO-मात्र नहीं और न ही कोई Political Think Tank—बल्कि एक Character Building Movement है, जो समाज की नींव मजबूत करता है।

RSS @100: शताब्दी वर्ष में समाज की पूरी भागीदारी

संघ के 100 वर्ष पूरे होने के अवसर पर सिलीगुड़ी और कोलकाता में आयोजित कार्यक्रमों में यह साफ दिखा कि RSS केवल किसी एक वर्ग तक सीमित नहीं है।

इन कार्यक्रमों में शामिल हुए:

  • डॉक्टर

  • वकील

  • पूर्व सरकारी अधिकारी

  • युवा और छात्र

यानी संघ = One ideology, Many professions.

Youth Connect: आत्मनिर्भरता + Sanatan Values = Strong India

युवाओं से संवाद में भागवत ने National Security और Self-Reliance (आत्मनिर्भरता) को जोड़ते हुए कहा कि— “जब युवा अपनी सांस्कृतिक जड़ों से जुड़े होते हैं, तब राष्ट्र स्वतः सुरक्षित होता है।”

उन्होंने Sanatan values को outdated नहीं, बल्कि timeless security framework बताया—जो आज के global challenges में भी relevant है। RSS को लेकर बना political perception bubble अब फूटता नजर आ रहा है।
भागवत का संदेश साफ है— संघ सत्ता का रास्ता नहीं, संस्कार का मार्ग है। और शायद यही बात संघ को समझने में सबसे ज़्यादा confuse करती है।

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