
बांग्लादेश के अंतरिम सरकार प्रमुख प्रो. मोहम्मद यूनुस ने रविवार को ढाका में हुए “चीन-बांग्लादेश निवेश और व्यापार सम्मेलन” में एक सीधा संदेश दिया – “डियर ड्रैगन, प्लीज़ इनवेस्ट!”
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यूनुस बोले – “भैंसे नहीं, अब निवेश दौड़ेगा!”
प्रो. यूनुस ने कहा कि पिछली सरकार ने खाली इकोनॉमिक ज़ोन छोड़े, जहां अब तक गाय-भैंस चर रही थीं। अब वह चाहते हैं कि वहां चीनी उद्योगों की मशीनें गरजें।
उनके मुताबिक, 10 महीनों की अंतरिम सरकार ने कई निवेश-अनुकूल सुधार किए हैं, और अब “परिणाम दिखने लगे हैं।”
निवेशकों के लिए ‘रिलेशनशिप मैनेजर’!
यूनुस ने बताया कि उनकी सरकार ने निवेशकों की सुविधा के लिए रिलेशनशिप मैनेजर तैनात किए हैं — यानी हर निवेशक को अब “सरकारी दोस्त” मिलेगा। ये “इनवेस्टमेंट की माला, सरकार की भाषा वाला साला” जैसे लगते हैं!
चीन से उम्मीदें या निर्भरता का जाल?
यूनुस ने चीन की तारीफ़ करते हुए कहा कि उसने कई दक्षिण एशियाई देशों की किस्मत बदल दी — और अब बांग्लादेश की बारी है।
पर सवाल ये है कि क्या ये किस्मत बदलने वाला निवेश है या फिर “ऋण जाल” में फंसाने वाली स्ट्रैटेजिक पॉलिटिक्स”?
“बांग्लादेश को अपना घर बनाएं”: एक ऑफर, दो अर्थ
यूनुस ने कहा, “बांग्लादेश को अपना घर बनाएं”, यह बात जितनी सकारात्मक लगती है, उतनी ही रणनीतिक रूप से डरावनी भी हो सकती है — खासकर जब चीन का रिकॉर्ड श्रीलंका, पाकिस्तान जैसे देशों में देखा गया है।
संभावित खतरे: “निवेश की चाशनी में रणनीति की मिर्च”
खतरा | विवरण |
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चीन पर आर्थिक निर्भरता | कर्ज़-जाल की रणनीति से भविष्य की नीति नियंत्रण चीन के पास जा सकता है |
रणनीतिक स्थलों पर नियंत्रण | बंदरगाहों, रेलवे और संचार नेटवर्क पर चीनी पकड़ बढ़ सकती है |
भारत से संबंधों पर असर | भारत-बांग्लादेश संबंधों में तनाव, खासकर सुरक्षा और रणनीतिक दृष्टिकोण से |
लोकल उद्योगों पर दबाव | सस्ते चीनी उत्पाद स्थानीय उत्पादन को खत्म कर सकते हैं |
साइबर/डेटा खतरे | चीनी कंपनियों के ज़रिए बांग्लादेशी डेटा की निगरानी का जोखिम |
भारत की चिंता: “ड्रैगन बॉर्डर से लगेगा?”
भारत पहले ही चीन की String of Pearls नीति को लेकर सतर्क है। अब अगर बांग्लादेश में भी चीन को बंदरगाह, फैक्ट्री और डेटा सेंटर मिलते हैं — तो यह भारत के पूर्वी मोर्चे पर नई चुनौती बन सकती है।
मोहम्मद यूनुस की निवेश के लिए चीनी कंपनियों को खुली दावत, एक तरफ बांग्लादेश की आर्थिक जरूरतों का संकेत है, तो दूसरी ओर रणनीतिक संतुलन को बिगाड़ने का बीज भी।
अगर निवेश विकास का इंजन है, तो यह जरूरी है कि चालक कौन है, यह भी देखा जाए — कहीं ऐसा न हो कि इंजन तो बांग्लादेश का हो, लेकिन स्टेयरिंग चीन के हाथ में!
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