
अमेरिका की संसद में विदेशी नीति पर गंभीर बहस चल रही थी… तभी एक सांसद पोस्टर लेकर खड़ी हो गईं—और पोस्टर में थे PM मोदी और राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की कार वाली वायरल सेल्फी।
सांसद सिडनी कैमलेगर-डव ने पोस्टर को हवा में लहराते हुए कहा— “US खुद ही भारत को रूस की गोद में धकेल रहा है! ट्रंप की नीतियां—दूसरों को सबक सिखाने के चक्कर में खुद का नुकसान कर रही हैं!”
सांसदों के चेहरों पर वह एक्सप्रेशन था—“भाई, ये हुआ क्या अचानक?”
ट्रंप पर सीधा निशाना – “नोबेल ऐसे नहीं मिलता!”
सांसद ने तंज कसते हुए कहा— “रणनीतिक पार्टनर्स को विरोधियों की तरफ धकेलकर नोबेल शांति पुरस्कार नहीं मिलता!”
मतलब साफ था—भारत-अमेरिका साझेदारी की गाड़ी पटरी से उतारने में अमेरिकी नीतियां ही जिम्मेदार हैं।
सेल्फी किसने ली थी और क्यों वायरल हुई?
पुतिन पिछले हफ्ते भारत आए। PM मोदी प्रोटोकॉल तोड़कर एयरपोर्ट गए, साथ वाली कार में बैठे, और फिर— एक दोस्ताना सेल्फी लीक हो गई। उसके बाद से अमेरिकी और यूरोपीय विश्लेषकों की आंखें “289% चौड़ी” हो गईं।
क्योंकि वे चाहते हैं कि पुतिन को दुनिया भर में आइसोलेट किया जाए, और भारत की इस गर्मजोशी ने उनकी प्लानिंग की वाट लगा दी।
US क्यों भड़का है?
भारत रूस से सस्ता तेल खरीद रहा है। भारत ने साफ कहा— “Europe भी तो रूस से खरीद रहा है भाई, हमें ही क्यों रोका जाए?”

ट्रंप प्रशासन ने दबाव बनाने की कोशिश में भारत पर टैरिफ ठोक दिए, लेकिन भारत ने जता दिया— दबाव वाली दोस्ती हम नहीं रखते।
इसलिए अमेरिकी सांसद आज संसद में पोस्टर दिखा रहे हैं—क्योंकि बात बहुत आगे बढ़ चुकी है।
भारत-रूस रिश्ते: पहले से स्ट्रॉन्ग, अब और भी
भारत और रूस की डिफेंस, ऊर्जा, ग्लोबल पॉलिटिक्स में दशकों पुरानी साझेदारी है। पुतिन के इस दौरे ने रिश्ते को नया बूस्टर शॉट दे दिया।
और अमेरिका को यही बात सबसे ज्यादा चुभ रही है।
बड़ा सवाल – पुतिन का दौरा वेस्ट को क्यों परेशान कर रहा है?
अमेरिका चाहता है भारत रूस की publicly निंदा करे। यूरोप चाहता है रूस पर दबाव बढ़े। लेकिन भारत अपनी स्वतंत्र विदेश नीति पर चलता है और रूस-भारत संबंध ‘भावनात्मक’ नहीं—रणनीतिक हैं।
यानी भारत न West छोड़ेगा, न Russia—और यही दोनों को समझ नहीं आता।
“पहले आंखें दिखाई… अब आंख मिलाई! महायुति में फिर ‘मिलन’ मोड ऑन”
