
भारत द्वारा हालिया सैन्य कार्रवाई ‘ऑपरेशन सिंदूर’ को लेकर कांग्रेस पार्टी में अंदरूनी मतभेद तेज़ हो गए हैं। कांग्रेस सांसद शशि थरूर द्वारा केंद्र सरकार की तारीफ़ ने पार्टी में राजनीतिक भूचाल ला दिया है।
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थरूर बोले: “सरकार ने सही किया” — पार्टी में छिड़ी बहस
पनामा में एक सार्वजनिक मंच पर थरूर ने कहा कि
“2016 में पहली बार भारतीय सेना ने एलओसी पार कर आतंकी ठिकानों पर हमला किया।”
उन्होंने इस कार्रवाई को सरकार की “साहसी पहल” बताया। लेकिन यही बात पार्टी के अंदर कुछ नेताओं को खटक गई।
पवन खेड़ा का पलटवार: थरूर खुद अपनी किताब पढ़ें!
कांग्रेस प्रवक्ता पवन खेड़ा ने शशि थरूर की ही किताब The Paradoxical Prime Minister का हवाला देते हुए सोशल मीडिया पर लिखा:
“थरूर खुद अपनी किताब में लिख चुके हैं कि सर्जिकल स्ट्राइक को शर्मनाक तरीके से चुनावी फायदे के लिए भुनाया गया था। कांग्रेस ने कभी ऐसी बेहूदगी नहीं की।”
उदित राज का व्यंग्य: “थरूर को भाजपा का सुपर प्रवक्ता बना दो”
कांग्रेस नेता उदित राज ने भी तीखा कटाक्ष करते हुए X (पूर्व में ट्विटर) पर लिखा:
“थरूर को भाजपा का आधिकारिक प्रवक्ता घोषित कर देना चाहिए। हो सके तो विदेश से लौटते वक्त उन्हें विदेश मंत्री भी बना देना चाहिए!”
उनके इस बयान को स्पष्ट रूप से पार्टी में पनपते असंतोष का प्रतीक माना जा रहा है।
विवाद के पीछे क्या है असली मुद्दा?
थरूर के बयान ने एक बार फिर कांग्रेस के अंदर विचारधारात्मक मतभेद और संवादहीनता को उजागर कर दिया है।
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क्या कांग्रेस में राष्ट्रीय सुरक्षा जैसे मुद्दों पर कोई साझा रुख नहीं है?
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क्या थरूर जैसे वरिष्ठ नेता पार्टी लाइन से हटकर बोल सकते हैं?
इन सवालों ने कांग्रेस की रणनीति और एकता पर सवाल खड़े कर दिए हैं।
राजनीतिक मायने: क्या थरूर की लाइन पार्टी के लिए खतरा है?
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि थरूर की टिप्पणियां कांग्रेस को आंतरिक रूप से कमजोर कर सकती हैं, खासकर जब चुनावी माहौल बन रहा हो। वहीं भाजपा इस बहस को “देशभक्ति बनाम भ्रम” के तौर पर पेश कर रही है।
निष्कर्ष: ऑपरेशन सिंदूर बना कांग्रेस में ‘मतभेद मिशन’
जहां सरकार ‘मिलिट्री सक्सेस’ को दिखाकर अपनी छवि चमका रही है, वहीं कांग्रेस अपने ही नेताओं की टिप्पणियों से उलझती नजर आ रही है। थरूर का समर्थन करें या विरोध – पार्टी दोराहे पर खड़ी दिखती है।
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