भारत-ब्रिटेन के बीच ऐतिहासिक FTA: मोदी का मास्टरस्ट्रोक या इंग्लिश स्पिन?

सुरेन्द्र दुबे ,राजनैतिक विश्लेषक
सुरेन्द्र दुबे ,राजनैतिक विश्लेषक

मोदी जी के लंदन दौरे का सबसे बड़ा फल—भारत और ब्रिटेन के बीच Comprehensive Free Trade Agreement पर हस्ताक्षर। पीएम कीर स्टार्मर के साथ हुई चर्चा में रक्षा से लेकर रसमलाई तक सब शामिल रहा। मोदी बोले, “अब UK के प्रोडक्ट भारत में सस्ते मिलेंगे”। इस बयान के बाद दिल्ली के सरोजिनी नगर से लेकर मैनचेस्टर के मार्केट तक सन्नाटा है—कहीं इंडियन टी-बैग्स की बाढ़ न आ जाए!

MSME को मिलेगा ‘लंदन ब्रिज’ तक पहुंच!

मोदी जी ने MSME सेक्टर को लेकर घोषणा कर दी कि इस समझौते से उनके सपनों को ‘बकिंघम पैलेस’ तक उड़ान मिलेगी। अब लुधियाना का लोअर और कानपुर का लेदर सीधे लंदन की गलियों में दिखेगा। यही नहीं, ब्रिटिश बाजार में भारत के आम का अचार और बनारसी साड़ी भी झंडा गाड़ने को तैयार है।

“अब सर्विस सेक्टर को नई ऊर्जा मिलेगी”—मोदी जी, शायद बात जावा डेवलपर्स की हो रही थी?

रोजगार भी मिलेगा…बस पासपोर्ट बना लीजिए

पीएम मोदी ने यह भी स्पष्ट कर दिया कि इस समझौते से भारत में रोजगार सृजन होगा। कुछ लोग पूछ रहे हैं, “रोजगार भारत में मिलेगा या ब्रिटेन में डिलिवरी बॉय की नौकरी?” लेकिन उम्मीद है कि स्टार्टअप इंडिया की छतरी तले हर सेक्टर कुछ न कुछ पकाएगा।

आतंकवाद पर दो टूक: “डबल स्टैंडर्ड्स नहीं चलेंगे, साब!”

पहलगाम हमले पर ब्रिटेन की निंदा का धन्यवाद देते हुए पीएम ने साफ कर दिया कि लोकतंत्र के नाम पर आतंकवाद को छूट नहीं मिलेगी। मोदी जी का इशारा साफ था—“स्वतंत्रता का मतलब आतंक की छूट नहीं!” ब्रिटिश सरकार ने भी हामी भरी—अंग्रेज़ी में, ज़ाहिर है।

प्लेन क्रैश में मारे गए भारतीयों को याद किया

इस मुलाकात में भावनात्मक पहलू भी छाया रहा। पीएम ने हाल ही में अहमदाबाद प्लेन क्रैश में मारे गए ब्रिटिश नागरिकों को श्रद्धांजलि दी और ब्रिटेन में बसे भारतीयों को ‘जीवित पुल’ बताया। ये वही पुल हैं जो FTA के कागज़ों पर मोदी सरकार को मैच जितवाते हैं।

क्रिकेट के बहाने स्ट्रेट बैट कूटनीति

“क्रिकेट सिर्फ खेल नहीं जुनून है,” मोदी जी बोले और कूटनीति के इस मैच में ‘स्ट्रेट बैट’ की बात कही। संदेश साफ था—कोई भी ‘बाउंसर’ नहीं चलेगा, चाहे वो कश्मीर पर हो या क्लाइमेट चेंज पर। लेकिन हाँ, “कभी-कभी स्विंग और मिस हो सकता है”—क्लासिक कूटनीतिक आउट है!

मास्टरस्ट्रोक या डिप्लोमैटिक Googlies?

FTA पर हस्ताक्षर तो हो गए, अब देखना है कि इससे किसकी GDP में कितनी ‘बढ़ोतरी’ होती है। मोदी जी का ‘ट्रेड कवर ड्राइव’ फिलहाल दर्शकों को पसंद आया है—अब बारी है कीर स्टार्मर के ‘फील्डिंग प्लान’ की। और हाँ, अगली बार जब आप लंदन जाएं तो पूछिए—“आपके टी बैग्स में भारत का स्वाद है क्या?”

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