
मिजोरम सरकार ने एक बड़ा और निर्णायक कदम उठाया है। गृह मंत्री सपडांगा ने ऐलान किया कि राज्य अब नशे के खिलाफ संगठित लड़ाई के लिए तैयार है — और इस बार साथ हैं पुलिस, आबकारी विभाग, और सबसे अहम, यंग मिजो एसोसिएशन (YMA)।
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थेन्ज़ोल स्थित पुलिस ट्रेनिंग स्कूल (PTS) में 280 नए पुलिस कांस्टेबलों के लिए प्रशिक्षण का उद्घाटन करते हुए सपडांगा ने साफ कहा:
“नशीली दवाओं के कारोबारी समाज में चोरी, अपराध और अराजकता को बढ़ावा देते हैं — अब चुप रहने का वक्त नहीं है।”
YMA और पुलिस का अनोखा गठबंधन
राज्य की सबसे प्रभावशाली नागरिक संस्था YMA को पुलिस के साथ जोड़कर मिजोरम सरकार ने साफ संकेत दिया है कि यह लड़ाई सिर्फ सरकारी नहीं, बल्कि जन आंदोलन बनेगी।
“समाज को नशे से बचाना सिर्फ पुलिस की नहीं, हम सबकी जिम्मेदारी है,” — YMA पदाधिकारी।
सुपारी से लेकर साइबर क्राइम तक: सरकार चौकस
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म्यांमार से सुपारी तस्करी पर लगाम लगाने के लिए भी सख्त निर्देश दिए गए हैं।
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राज्य की सीमाओं पर गैरकानूनी जुर्माना वसूली बंद कर दी गई है।
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नए पुलिस प्रशिक्षण में साइबर क्राइम, फोरेंसिक और मानवाधिकार जैसे विषयों को प्रमुखता दी गई है।
पुलिस ट्रेनिंग अब सिर्फ फिजिकल नहीं, मेंटल भी
9 महीने के प्रशिक्षण कार्यक्रम में कांस्टेबलों को शारीरिक फिटनेस, नैतिक मूल्यों, प्रोफेशनल ज्ञान और टीम भावना का संतुलित ज्ञान दिया जाएगा।
“हम सिर्फ यूनिफॉर्म नहीं, एक सोच तैयार कर रहे हैं — जो निष्पक्ष, प्रोफेशनल और संवेदनशील हो।”
“हेल्थी पुलिस, सेफ मिजोरम” का मंत्र
डीजीपी शरद अग्रवाल और आपूर्ति मंत्री बी. लालछानजोवा ने स्पष्ट किया कि
“नई भर्ती का मकसद सिर्फ संख्या बढ़ाना नहीं, बल्कि मानसिक और शारीरिक रूप से तैयार पुलिस फोर्स तैयार करना है।”
अब ‘वाईएमए + पुलिस’ बनेंगे मिजोरम के डिफेंस अवेंजर
नॉर्थईस्ट की इस पहाड़ी धरती पर जब युवा, प्रशासन और पुलिस एक साथ मैदान में उतरें, तो नशा माफिया कितने दिन टिकेगा?
मिजोरम अब सिर्फ शांत नहीं, सजग और संगठित भी हो गया है।
“अब नशा नहीं, कानून चलेगा!” — मिजोरम मॉडल शायद पूरे देश के लिए एक मिसाल बन जाए।
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