क्यों मौलाना क़ारी इसहाक़ गोरा बोले – “ये मॉडर्निटी नहीं, मज़हबी ग़फ़लत है!”

Saima Siddiqui
Saima Siddiqui

आजकल के मुसलमान सिर्फ़ बाइसेप्स और सिक्स-पैक में बिज़ी हैं, लेकिन दिल और नफ़्स की सफाई पर कोई ध्यान नहीं दे रहा – यही दर्द बयां किया मौलाना क़ारी इसहाक़ गोरा ने अपने ताज़ा वीडियो बयान में।

उन्होंने कहा, तंदरुस्ती इमान का हिस्सा है, लेकिन जिम को कॉ-एड पार्टी बना देना इस्लामी तालीम नहीं!

जिम में मिक्स्ड एक्सरसाइज़ = शरीयत की स्ट्रेचिंग?

मौलाना साहब ने साफ़ कहा कि आजकल मर्द और औरतें एक ही जिम में, एक ही मशीन पर – “हां भाई, पहले आप!” स्टाइल में पसीना बहा रहे हैं।  लेकिन क्या पसीना बहाने के चक्कर में “पर्दा” भी बह गया?

“पर्दा सिर्फ औरतों के लिए नहीं, मर्दों पर भी वाजिब है,” – ये सुनकर कुछ लोग शायद वेट मशीन छोड़कर वज़नदार तर्कों से लड़ने लगें।

मॉडर्न बनो, मगर मज़हबी मैनेर्स मत भूलो

मौलाना ने मॉडर्निटी के नाम पर होने वाली हरकतों को “दीन से दूरी और जहालत की निशानी” बताया।
उनका साफ़ संदेश- “मॉडर्न बनो, लेकिन अपने ईमान को पुराने ज़माने में मत छोड़ आओ!”

इस बयान से उन लोगों के दिल पर ज़रूर चोट लगी होगी जो सोचते हैं – “इस्लाम तो दिल में होता है, जिम में थोड़ी!”

असली ताक़त सिर्फ़ बॉडी में नहीं, ईमान में भी होनी चाहिए

मौलाना गोरा ने अपने संदेश में तंदरुस्ती की अहमियत बताई:

सिर्फ़ बॉडी बिल्डिंग से कामयाबी नहीं मिलती जब तक दिल इस्लामी उसूलों से जुड़ा न हो, जिंदगी बे-सूरत ही रहती है। उन्हें डर है कि कहीं ट्रेडमिल पर दौड़ते-दौड़ते हम दीन से ही बाहर न निकल जाएं।

दुआ और दलील: मौलाना का फिनाले अपील स्टाइल

बात खत्म करते हुए मौलाना साहब ने दुआ की:

अल्लाह हमें शरीयत की राह पर चलने और फ़ितनों से महफूज़ रहने की तौफ़ीक़ दे।

और साथ ही एक साइलेंट अलर्ट भी दे दिया – “बॉडी बनाओ, बेशक… पर अपने दीन को भी ‘फिट’ रखो।”

अगर जिम में ‘पर्दा सेक्शन’ बना दिया जाए, तो शायद कुछ लोगों को ज्यादा पसीना आ जाए!

कौन जाने, कल को किसी जिम में “हिजाब कम्प्लायंट ट्रेडमिल” आ जाए या “रुहानी फिटनेस प्लान” के नाम पर डायट चार्ट में इमानी डोज़ भी मिल जाए।

पर तब तक, शायद मौलाना गोरा का यह बयान मॉडर्न मुसलमानों के लिए एक “वेकअप कॉल” जैसा ही है।

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