
मथुरा में जन्माष्टमी की तैयारियों के बीच आज एक ऐतिहासिक और भावनात्मक क्षण देखने को मिला। भगवान श्रीकृष्ण को विशेष ‘मेघ धनुष पोशाक’ और दिव्य आभूषण अर्पित किए गए, जिसे देखने के लिए देशभर से श्रद्धालु मथुरा पहुंचे।
6 महीने की कारीगरी, भक्ति का अद्वितीय स्वरूप
इस भव्य पोशाक को तैयार करने में पूरे छह महीने का समय और दर्जनों कुशल कारीगरों और श्रद्धालु भक्तों की मेहनत लगी।
हर धागा, हर रंग और हर डिजाइन में सनातन परंपराओं की झलक देखने को मिली।
भक्तों का मानना है – “इस श्रृंगार से भगवान को प्रसन्न करना ही सबसे बड़ा पुण्य है।”
मंदिर परिसर में उत्सव जैसा माहौल
सुबह से ही मंदिर में ढोल-नगाड़ों, डमरू, मंजीरों की मधुर ध्वनि गूंज रही थी।
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महिलाएं पारंपरिक परिधानों में सजकर भजन-कीर्तन कर रही थीं
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पुरुष श्रद्धा से पोशाक और आभूषण अर्पित करने में व्यस्त थे
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पूरा परिसर राधे-राधे और कन्हैया लाल की जय के नारों से भक्तिमय हो उठा
दिव्य दर्शन के लिए लगी लंबी कतारें
जब भगवान श्रीकृष्ण ने मेघ धनुष पोशाक और दिव्य आभूषण धारण किए, तो पूरा मंदिर परिसर अलौकिक प्रकाश से चमक उठा।
श्रद्धालु घंटों लाइन में खड़े रहकर सिर्फ एक झलक पाने को आतुर दिखे।

“इस दिन के दर्शन के लिए महीनों से तैयारी कर रहे थे…” – एक भक्त की भावुक प्रतिक्रिया।
शाम को विशेष आरती और महाभोग
शाम को विशेष आरती का आयोजन होगा, जिसमें सैकड़ों भक्तों के शामिल होने की उम्मीद है। इसके साथ ही भगवान को महाभोग अर्पित किया जाएगा, जिसमें विभिन्न प्रकार के प्रसाद बनाए गए हैं।
ब्रज की परंपरा और संस्कृति की झलक
यह आयोजन सिर्फ एक धार्मिक क्रिया नहीं, बल्कि ब्रज संस्कृति, शृंगार परंपरा और सनातन भक्ति का जीवंत प्रदर्शन है।
यह पर्व हर वर्ष यह याद दिलाता है कि भक्ति, कला और परंपरा का संगम ही भारत की आत्मा है।
श्रीकृष्ण जन्माष्टमी से पहले यह भव्य श्रृंगार, भक्तों के लिए सिर्फ दर्शन नहीं, बल्कि आध्यात्मिक अनुभव बन गया। यह आयोजन भक्ति, शृंगार और संस्कृति का एक दिव्य संगम है, जिसे शब्दों में बांध पाना कठिन है।