
रविवार को उत्तराखंड के हरिद्वार में स्थित प्रसिद्ध मंसा देवी मंदिर में भारी भीड़ के कारण भगदड़ मच गई, जिसमें 6 लोगों की मौत हो गई और कई घायल हुए।
हादसा कैसे हुआ?
प्रत्यक्षदर्शी के अनुसार,
“पैर रखने की जगह नहीं थी, भीड़ जब ज़्यादा हो गई तो लोग एक-दूसरे पर गिरने लगे। कुछ लोगों ने साइड में लगे तारों के सहारे चढ़ना चाहा, जिससे वे फैल गए और करंट लगने की आशंका जताई गई।”
करंट की आशंका पर क्या बोले अफसर?
ईडीसी (Electricity Distribution Circle) के सुपरिटेंडिंग इंजीनियर प्रदीप कुमार ने दावा किया:
“हमारी पूरी टीम ने मौके पर जांच की। कोई नंगे तार नहीं मिले। सिस्टम पूरी तरह सेक्योर है और हॉस्पिटल रिपोर्ट में भी किसी को करंट लगने की पुष्टि नहीं हुई।”
उन्होंने यह भी बताया कि मंसा देवी मंदिर जैसी जगहों पर नियमित रूप से 15 दिनों या महीने में एक बार टेस्टिंग होती है।
क्या बोले मुख्यमंत्री और प्रशासन?
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने हादसे पर दुख जताते हुए मजिस्ट्रियल जांच के आदेश दिए हैं।
एसएसपी प्रमेन्द्र डोबाल और डीएम मयूर दीक्षित ने कहा कि
“हादसे की असली वजह जांच के बाद सामने आएगी।”
प्रशासन की लापरवाही या भीड़ प्रबंधन की चूक?
हरिद्वार जैसे तीर्थ स्थल पर त्योहार या विशेष मौकों पर भीड़ नियंत्रण बेहद ज़रूरी होता है। यह हादसा सवाल उठाता है —
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क्या भीड़ नियंत्रण की व्यवस्था पर्याप्त थी?
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क्या इमरजेंसी रिस्पॉन्स में देरी हुई?
श्रद्धांजलि और अगला कदम
सरकार ने पीड़ित परिवारों को सहायता देने की घोषणा की है। साथ ही यह भी तय किया गया है कि आने वाले धार्मिक आयोजनों में सुरक्षा व्यवस्था और तकनीकी जांच को प्राथमिकता दी जाएगी।
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