84 लाख योनियों में मनुष्य ही श्रेष्ठ: श्री कल्कि धाम में शंकराचार्य का दिव्य संदेश

गौरव त्रिपाठी
गौरव त्रिपाठी

असमोली विकासखंड के ऐंचोड़ा कम्बोह गांव स्थित श्री कल्कि धाम में एक ऐतिहासिक और आध्यात्मिक आयोजन के तहत शिला स्थापना महापर्व का भव्य आयोजन किया गया। इस पावन अवसर पर द्वारका शारदा पीठाधीश्वर जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी सदानन्द सरस्वती महाराज अपने त्रिदिवसीय प्रवास पर श्री कल्कि धाम पहुंचे।

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पहली बार श्री कल्कि धाम पधारे शंकराचार्य

यह पहला अवसर था जब पूज्य शंकराचार्य स्वामी सदानन्द सरस्वती ने श्री कल्कि धाम में पदार्पण किया। उनके आगमन से पूरा क्षेत्र आध्यात्मिक ऊर्जा से ओतप्रोत हो उठा। उनके स्वागत में श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ पड़ी।

प्रधानमंत्री मोदी द्वारा पूजित कूर्म शिला की स्थापना

अपने प्रवास के दौरान 11 जून को, शंकराचार्य महाराज ने 21 फीट गहराई में मुख्य गर्भगृह में विधिवत रूप से कूर्म शिला की स्थापना की। यह वही पवित्र शिला है जिसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्वयं पूजित किया था। शिला स्थापना का यह क्षण धाम के इतिहास में स्वर्ण अक्षरों में दर्ज हो गया।

आशीर्वचन में दिया जीवन का सार

कल्कि धाम सेवा समिति को विशेष आशीर्वचन देते हुए शंकराचार्य महाराज ने कहा—

“84 लाख योनियों में केवल मनुष्य योनि ही ऐसी है, जिसमें भगवद्भक्ति कर मोक्ष की प्राप्ति संभव है।”

उन्होंने शास्त्रों के अनुरूप जीवन जीने और मानव जन्म को सफल बनाने का संदेश दिया।

“यहां दैवीय ऊर्जा का अनुभव हो रहा है”

शंकराचार्य स्वामी सदानन्द सरस्वती ने श्री कल्कि धाम में अपने अनुभव साझा करते हुए कहा—

“यहां प्रवास कर मेरा मन अत्यंत प्रफुल्लित है। इस आकाश मंडल में मैं दैवीय ऊर्जा का अनुभव कर रहा हूं।”

यह कथन वहां उपस्थित सभी श्रद्धालुओं के लिए अत्यंत प्रेरणादायक रहा।

भावुक विदाई में झलकती भक्ति

अपने प्रवास की समाप्ति के पश्चात शंकराचार्य महाराज ने विदाई ली। आचार्य प्रमोद कृष्णम ने उन्हें गले लगाकर भावभीनी विदाई दी, जिससे उपस्थित जनसमूह की आंखें नम हो गईं।

श्री कल्कि धाम में शंकराचार्य महाराज का यह प्रवास न केवल धार्मिक, बल्कि आध्यात्मिक चेतना के जागरण का अद्वितीय क्षण बन गया। कूर्म शिला की स्थापना और उनके द्वारा दिया गया दिव्य संदेश आने वाले समय में श्री कल्कि धाम को एक प्रमुख तीर्थ स्थल के रूप में प्रतिष्ठित कर सकता है।

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