फेफड़े फूंके, लीवर डुबोए… और बोले – पाकिस्तान को सबक सिखाएंगे!

आशीष शर्मा (ऋषि भारद्वाज)
आशीष शर्मा (ऋषि)

आजकल देशभक्ति का आलम ये है कि पान की दुकान के बाहर खड़े कुछ ‘राष्ट्रवादी योद्धा’ आधे घंटे में 4 बीड़ी या सिगरेट पीते हैं, गालों में पान मसाला दबाते हैं और फिर गला खंखारते हुए बोलते हैं – “भाई, पाकिस्तान को तो नष्ट कर देना चाहिए!” इनके मुताबिक लड़ाई अब टीवी डिबेट्स, व्हाट्सएप फॉरवर्ड्स और इंस्टाग्राम स्टोरी से लड़ी जाती है। बॉर्डर पर नहीं, बल्कि बालकनी में।

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देशभक्ति का नया कॉम्बो:

लंगोटिया दोस्त: Old Monk और तिरंगा

युद्ध की योजना: व्हाट्सएप फॉरवर्ड्स और फेसबुक लाइव

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देश के लिए जान देंगे

कुछ लोगों की देशभक्ति का ग्राफ शराब के साथ ही ऊपर-नीचे होता है।

पहला पैग – “आज चुपचाप बैठेंगे”

दूसरा पैग – “राजनीति बर्बाद कर दी देश की”

तीसरा पैग – “कसम से, बॉर्डर पर होता तो अकेले घुस जाता पाकिस्तान में!”
लेकिन सुबह ऑफिस 10 बजे पहुंचना हो तो पेट दर्द का बहाना तैयार होता है।

जिसे सुबह उठने के लिए मम्मी की डांट और रात को सोने के लिए दो पैग चाहिए, वो अगर कहे “मैं देश के लिए मर सकता हूँ”, तो शायद पहले डॉक्टर दिखा लेना ज़रूरी हो जाता है।

जो खुद रोज़ शराब पीकर शरीर को जहर बना रहे हैं, क्या वे किसी दूसरे दुश्मन को हराने का हौसला रखते हैं? जिनकी देशभक्ति TikTok या Reels तक सीमित है, वो सीमा पर खड़े सैनिकों की जिम्मेदारी को कैसे समझ पाएंगे?

सिगरेट से जलता फेफड़ा, फिर भी ‘जवानी देश के नाम’:

जिसकी सांस 15 सीढ़ियां चढ़ने में फूल जाती है, वो कहता है “देश की रक्षा करूंगा!”
किसी ने पूछा – “सेना में क्यों नहीं गए?”
बोला – “भैया, मेरा BP low हो जाता है… लेकिन पाकिस्तान को नेस्तनाबूद ज़रूर करेंगे!”

मानसिकता का मसाला:

पान मसाले के पैकेट में ‘तंबाकू हानिकारक है’ पढ़ते हैं लेकिन आंखें मूंदकर खाते हैं। इसी तरह ‘देश सेवा’ भी फेसबुक पर पोस्ट करके हो जाती है। ऐसे लोग पूछते हैं – “हम क्या करें? हमारे हाथ में क्या है?” जवाब: पहले सिगरेट छोड़ो, सुबह दौड़ो, और फिर बात करो देश की रक्षा की।

असली लड़ाई कहां है?

देशभक्ति कोई फैशन शो नहीं है। यह सेल्फी या हैशटैग नहीं, बल्कि अनुशासन, स्वास्थ्य और ज़िम्मेदारी का नाम है। जो खुद पर नियंत्रण नहीं रख सकता, वो देश की रक्षा की बात करे तो सिर्फ हास्य ही पैदा होता है। अगर वाकई देश से प्यार है तो सबसे पहले खुद को तैयार करो – शारीरिक रूप से, मानसिक रूप से और सामाजिक रूप से। “देश के लिए मरना आसान है, लेकिन देश के लिए जीना और सुधारना मुश्किल। तो अगली बार देशभक्ति की बात करने से पहले हाथ में तिरंगा हो, न कि Old Monk!”

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