दिवाली पर दानवता! लखनऊ में 14 साल के बच्चे के मुंह पर बम फोड़ा

महेंद्र सिंह
महेंद्र सिंह

जब पूरा देश दीयों से रोशन था, लखनऊ की छोटी जुगौली बस्ती में एक मां के सपनों का उजियारा अचानक धुएं और चीख में तब्दील हो गया।

14 साल का सरवन वर्मा, जो शायद अपने दोस्तों संग पटाखे खेल रहा था, उस पर हमला हुआ — मुंह पर जानबूझकर बम फोड़ दिया गया। जवाब में पटाखे नहीं, लोगों की चीखें गूंजीं।

ट्रॉमा सेंटर में ज़िंदगी से लड़ रहा है मासूम

सरवन के मुंह और हाथ भयानक रूप से झुलस गए हैं। पहले लोहिया अस्पताल ले जाया गया, लेकिन हालत बिगड़ने पर KGMU ट्रॉमा सेंटर रेफर किया गया।

इस वक्त सरवन ज़िंदगी और मौत के बीच झूल रहा है, जबकि हम सिर्फ ये सोच पा रहे हैं कि “पटाखा ही तो था”।

ये पटाखा नहीं, जानलेवा इरादा था!

मां अनीता वर्मा का आरोप है कि यह कोई हादसा नहीं बल्कि सुनियोजित हमला था। प्रमोद दास के बेटे अभय दास और प्रदीप दास पहले कहासुनी में उलझे, फिर थोड़ी देर में बम लेकर लौटे और सरवन के मुंह पर फोड़ दिया।

“ये कोई अनजाने में जलाया पटाखा नहीं था, ये सोची-समझी हिंसा की चिंगारी थी।” — मोहल्लेवालों की आवाज़

पुलिस की नींद अब टूटी है, लेकिन जनता का भरोसा हिला हुआ है

मामला गोमती नगर थाने में दर्ज हो चुका है, नामजद आरोपी फरार हैं।
पुलिस जांच कर रही है कि:

  • बम कहां से आया?
  • क्या ये कच्चा बम?
  • क्या आरोपियों का अपराध इतिहास है?

लेकिन असल सवाल तो ये है:

“दिवाली के नाम पर, क्या अब मासूम बच्चों को भी बम का शिकार बनाया जाएगा?”

बस्ती में गुस्सा, दिलों में डर

छोटी जुगौली बस्ती के लोग आज दिया जलाने की बजाय दहशत में जी रहे हैं। सरवन की हालत गंभीर है, परिवार टूट चुका है और आरोपी अब तक खुलेआम हवा खा रहे हैं।

अब सवाल सरकार से

क्या दिवाली पर रोशनी सिर्फ वीआईपी इलाकों तक सीमित रह गई है?
क्या पुलिस को सिर्फ तब तक नींद आती है जब तक कोई मर न जाए?

CM योगी आदित्यनाथ भले ही जनता दर्शन में “चिंता मत करिए” कहें, लेकिन सरवन की मां अब सिर्फ बेटे की सांसों की गिनती कर रही हैं।

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