
बिहार में जैसे ही पीएम मोदी ने माइक पकड़ा, तेजस्वी यादव ने भी प्रेस कॉन्फ्रेंस का जिम खोल लिया। जहां मोदी ने विकास के पोस्टर चिपकाए, वहीं तेजस्वी बोले – “बिहार में जुमले का साया है, देखो फिर वही आया है!”
तेजस्वी का कहना है कि मोदी जी हर बार आते हैं, भाषण देते हैं, और चले जाते हैं – लेकिन ज़मीन पर कुछ नहीं उतरता। जनता अब टेलीप्रॉम्प्टर से भाषण नहीं, पेट भरने वाला काम चाहती है।
“इंडिया इज़ माई कंट्री, ऑल इंडियंस आर माय ब्रदर एंड सिस्टर्स” क्यों ?
NDA = ‘नेशनल दामाद आयोग’?
तेजस्वी ने NDA का फुल फॉर्म बदल डाला – नेशनल दामाद अलायंस। बोले कि अब ये गठबंधन नहीं, “रिश्तेदारी का विभाग” हो गया है। मोदी जी अपने जमाइयों को लेकर चुप हैं और नीतीश जी तो अब “अचेत अवस्था” में चले गए हैं – कुछ सुना नहीं, कुछ देखा नहीं।
नीतीश जी दौड़ते हैं मंच पर, लेकिन चलते नहीं बिहार में
तेजस्वी का सबसे बड़ा व्यंग्य नीतीश कुमार पर रहा। बोले – “पीएम आते हैं तो नीतीश जी मंच पर दौड़ पड़ते हैं। लेकिन किसी पीड़ित परिवार से मिलने नहीं जाते। बिहार जल रहा है, और सीएम अचेत हैं।”
पीएम के भाषण में कंटेंट कम, खर्च ज़्यादा!
तेजस्वी बोले – “हर बार मोदी जी आते हैं तो बिहार का 100 करोड़ खर्च हो जाता है, भाषण सुनने के बदले जनता को बिल मिलता है। उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी हेलिकॉप्टर से सिवान 5 बार चले गए – पैसे किसके थे? बिहार की जनता के!”
गोलियों की बौछार और प्रशासन की खामोशी
“जब नेता प्रतिपक्ष के घर के बाहर गोली चल रही हो तो आम जनता की सुरक्षा की कल्पना ही डरावनी है,” तेजस्वी का कहना था। उन्होंने दावा किया कि अपराधियों और पुलिस की मिलीभगत पर खुद पीड़ित आरोप लगा रहे हैं।
बिहार चलेगा बिहारी से, बाहर वालों से नहीं!
“बिहार को किसी बाहरी की रहनुमाई नहीं चाहिए,” तेजस्वी बोले। “बिहार के लोग मेहनती हैं, रोज़गार खुद पैदा करते हैं। पॉकेटमार प्रधानमंत्री और अचेत मुख्यमंत्री – अब जनता को नहीं चाहिए।”
‘लालू जी चौक पे खड़े हो जाएं, भीड़ अपने आप लग जाएगी’
तेजस्वी ने भीड़ पर भी तंज कसा – बोले कि मोदी जी की रैली में भीड़ जबरदस्ती बुलाई गई, लेकिन “लालू जी अगर चौक पे खड़े हो जाएं तो बिना बुलाए लाखों लोग आ जाएंगे!”
“हम बाबा साहेब का सम्मान करते हैं, और ये लोग गाली!”
तेजस्वी ने BJP पर बाबा साहेब और कर्पूरी ठाकुर के अपमान का आरोप लगाते हुए कहा कि हमारा काम देखिए, बयान नहीं। हाई कोर्ट के पास हमने बाबा साहेब की मूर्ति लगाई है – ये हमारा आदर है, इनका ड्रामा नहीं।
बिहार में चुनावी माहौल अब ‘मंच बनाम मैदान’ की लड़ाई बन चुका है
एक तरफ मंच पर मोदी और नीतीश – स्क्रिप्टेड भाषण और पॉलिश्ड प्रेजेंटेशन,
दूसरी तरफ मैदान में तेजस्वी – देसी अंदाज़, तंज़ और “चौक वाली लोकप्रियता”।
अब देखना है कि जनता जुमलों से भरे मंच पर भरोसा करती है, या मैदान के चौराहे पर खड़े ‘लालू वंश’ की गूंज को सुनती है।
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