
भाद्रपद मास की कृष्ण पक्ष अष्टमी को भगवान श्रीकृष्ण का जन्म हुआ था। तब से लेकर आज तक, भक्त इस दिन कान्हा को खुश करने के लिए क्या कुछ नहीं करते — घरों को सजाया जाता है, झूला झुलाया जाता है और माखन-मिश्री से लेकर मोहनथाल तक का भोग तैयार होता है।
इस बार जन्माष्टमी पर अगर आप भी अपने कान्हा को “भोग लगा लो जी” कहकर लुभाना चाहते हैं, तो ये लिस्ट जरूर देखिए:
माखन मिश्री – कान्हा का क्लासिक क्रश
कहते हैं कान्हा के लिए माखन चुराना सिर्फ शौक नहीं, इमोशन था।
इसलिए अगर आप खुद से बनाए हुए घर का ताजा माखन मिश्री भोग में रखें, तो शायद कान्हा आपके मन की मुराद भी चुरा लें।
बनाने की विधि:
दही मथिए, मक्खन निकालिए, मिश्री मिलाइए और मिट्टी की हांडी में सजाकर रख दीजिए। एकदम कान्हा स्टाइल!
मालपुआ – श्रीकृष्ण का स्वीट लव अफेयर
अगर आपको लगता है कि सिर्फ इंस्टाग्राम रील्स ही मीठी होती हैं, तो आप मालपुआ को नहीं जानते।
बनाने की विधि:
मैदा, दूध और चीनी का घोल बनाएं। केसर और इलायची मिलाएं, घी में तलें और फिर चाशनी में डुबो दें। बस! अब श्रीकृष्ण भी कहेंगे – “पुआ फिर से दो!”
खीर – जब कृष्ण को चाहिए कुछ “कूल एंड क्लासिक”
खीर के बिना भोग ऐसा ही है जैसे बिना रील्स के इंस्टाग्राम।
मिल्क, राइस, ड्राई फ्रूट्स, केसर — ये सब मिलकर एक ऐसा कॉम्बो बनाते हैं, जिसे कान्हा “रीशेयर” करना नहीं भूलते।
बनाने की विधि:
दूध में चावल उबालें, उसमें चीनी, मेवा, केसर डालें। ठंडा करके प्याले में सजाएं और कृष्ण के सामने रखिए।
पंजीरी – एनर्जी बूस्टर भोग
पंजीरी, वो एनर्जी ड्रिंक है जो कृष्ण को टॉफी टाइम से पहले चाहिए होता है।
बनाने की विधि:
मखाने, धनिए के बीज, सूखे मेवे को घी में भूनिए, गुड़ मिलाइए और ठंडा करके भगवान को अर्पित कर दीजिए।
दही-शहद – सिंपल लेकिन सुपर हिट
दही के बिना कृष्ण पूजा अधूरी मानी जाती है। और जब उसमें शहद मिल जाए, तो कान्हा भी कहते हैं – “अब बात बनी!”

बनाने की विधि:
ताजा दही लीजिए, उसमें शहद मिलाइए। छोटा बर्तन सजाइए और कान्हा को भोग लगाइए।
मोहनथाल – बेसन का बेस ट्रीट
मोहनथाल, यानी जब बेसन खुद बोले – “कान्हा जी, ये भोग आपके लिए है।”
बनाने की विधि:
बेसन को धीमी आंच पर घी में भूनें। दूध, इलायची डालें, फिर चाशनी मिलाएं। जमाकर काटें और ऊपर से मेवे सजाएं। अब तो बस श्रीकृष्ण भी कहेंगे – “मोहनथाल, मोर धन!”
भोग अर्पण के नियम – थोड़ा सतर्कता, पूरा आशीर्वाद
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भोग सात्विक और शुद्ध होना चाहिए – कोई प्याज, लहसुन नहीं!
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स्नान करके स्वच्छ वस्त्र पहनें।
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भगवान के लिए थाली सुंदर और साफ हो।
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भोग लगाते समय ध्यान और प्रार्थना करें – सिर्फ स्वाद नहीं, भावना भी जरूरी है।
जन्माष्टमी सिर्फ त्योहार नहीं, भावनाओं का संगम है।
अगर आप भगवान श्रीकृष्ण को उनका फेवरेट मेन्यू परोसें, तो यकीन मानिए, वो भी आपकी भक्ति की स्टोरी को Divine Feed में ज़रूर जोड़ेंगे।
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जैसा पंडित गोविन्द जी ने बताया।