
कनाडा की वित्त मंत्रालय की एक रिपोर्ट ने अंतरराष्ट्रीय राजनीति में हड़कंप मचा दिया है। रिपोर्ट में बताया गया है कि खालिस्तानी चरमपंथी समूहों को चैरिटेबल और नॉन-प्रॉफिट संस्थाओं की आड़ में कनाडा से लगातार आर्थिक मदद मिल रही है।
अब सवाल ये नहीं है कि पैसा कहां से आ रहा है… सवाल ये है कि “दान” के नाम पर बम की स्कीम कौन चला रहा है?
कनाडा: जहां फ्री स्पीच इतनी फ्री है कि आतंकी भी स्पीच दे रहे हैं
बब्बर खालसा इंटरनेशनल और इंटरनेशनल सिख यूथ फेडरेशन जैसे संगठन, जिन्हें कनाडा ने खुद आतंकवादी माना है, आज उसी कनाडा में “ग्लोबल सिख फाउंडेशन” जैसे मासूम नामों के तहत चैरिटी फंड इकट्ठा कर रहे हैं।
अरे भाई! जब आप किसी को आतंकी घोषित कर चुके हैं, तो फिर उनके “लंगर खाते हुए आतंक” पर आंख क्यों मूंद रखी है?
प्रॉक्सी गुरुद्वारे, नकली एनजीओ और विदेशी फेसबुक पेज
इन संगठनों की स्कीम सुनकर एक मामूली चाय वाला भी शर्मिंदा हो जाए:
गुरुद्वारों में देशभक्ति की जगह ‘देश विभाजन’ की बातें
विदेशों में एनजीओ के नाम पर खालिस्तान की रिटर्न पॉलिसी
सोशल मीडिया पर “Donate for Rights” के नाम पर उड़ते डॉलर
रिपोर्ट ने खोला काला चिट्ठा: सेवा के नाम पर साजिश
2025 की रिपोर्ट में बताया गया:

खालिस्तानी ग्रुप्स राजनीतिक हिंसा के ज़रिए भारत में अस्थिरता लाना चाहते हैं
नॉन-प्रॉफिट सेक्टर के नेटवर्क से धन इकट्ठा किया जाता है
कनाडा की ज़मीन से भारत के नक्शे को दोबारा खींचने की तैयारी की जा रही है
खालिस्तान एक विचार नहीं, विदेशों में चल रही फंडिंग आधारित इंडस्ट्री बन चुकी है
पंजाब में अलगाववाद की हवा कम हो चुकी है, लेकिन कनाडा-यूके-अमेरिका में अब भी ये आंदोलन “एनआरआई राष्ट्रवाद” की शकल में ज़िंदा है।
कई बार तो लगता है जैसे कुछ लोग खालिस्तान को सिर्फ इसलिए चाहते हैं ताकि उन्हें ‘Zoom पर क्रांति’ का लिंक मिल जाए।
भारत में खालिस्तान मांगने वाला भूखा है, और विदेश में उसका बैंक अकाउंट फूला हुआ है — अब आप ही तय करें, ये आंदोलन है या स्टार्टअप?
कनाडा की “चुप्पी” अब अंतरराष्ट्रीय मजाक बन चुकी है
अगर कनाडा सच में आतंकवाद के खिलाफ है, “एक हाथ में वीज़ा, दूसरे हाथ में AK-47 वाले” लोगों के लिए चैरिटी का गेट बंद करना होगा। वरना अगली रिपोर्ट में ये भी आ सकता है कि— “टेररिस्ट फंडिंग अब ‘Crypto से Chhole Bhature’ तक पहुंच गई है।”
कनाडा में कुछ संगठन ऐसे भी हैं, जो ‘आतंकवाद’ को टैक्स-फ्री पब्लिक सर्विस समझते हैं।
गोरखपुर में “नो हेलमेट, नो पेट्रोल… हां, लेकिन हंगामा फुल टैंक!”