
ईद मिलादुन्नबी का जश्न, यानी पैग़ंबर-ए-इस्लाम हज़रत मोहम्मद ﷺ की पैदाइश का दिन – इस बार भी बहराइच ने दिखाया कि कैसे जश्न सिर्फ रोशनी और सजावट से नहीं, बल्कि सीरत और तहज़ीब से मनाया जाता है।
जनपद बहराइच में शुक्रवार 5 सितंबर को सुबह 8 बजे मुस्लिम मुसाफिर खाना से होगा “जुलूस-ए-मुहम्मदी” का आगाज़। सीरत कमेटी के नेतृत्व में यह जुलूस पूरे शहर में मोहब्बत, भाईचारे और अमन का पैग़ाम लेकर निकलेगा।
नात पढ़ो, DJ नहीं! – कमेटी की नेक पहल
सीरत कमेटी के अध्यक्ष हाजी तेजे खां ने सभी अंजुमनों से अपील की है कि जुलूस में मुंह से नात पढ़ी जाए, ताकि इस मुबारक मौके को असली अदब के साथ मनाया जाए।
मजेदार बात ये रही कि इस बार केवल डीजे बजाने वाली अंजुमनों ने खुद को नात पढ़ने वाली अंजुमनों में विलय कर लिया है।
यानी अब शहर में सिर्फ आवाज़ें नहीं गूंजेंगी, बल्कि सीरत की सदा गूंजेगी।
हाजी तेजे खां (सीरत कमेटी अध्यक्ष) ने कहा:
“हमारा मकसद सिर्फ जश्न नहीं, नबी ﷺ की तालीम को ज़िंदा रखना है।”
सेवा का दूसरा नाम – अस्पतालों में सामग्री वितरण
ईद मिलादुन्नबी सिर्फ जलूस तक सीमित नहीं। कल विभिन्न अंजुमनें अस्पतालों में जाकर सामग्री वितरित करेंगी।
फैजान (अंजुमन सदस्य) ने बताया कि यह पहल नबी ﷺ की उस सीरत से प्रेरित है जिसमें बीमारों की खिदमत को इबादत कहा गया है।
फैजान (अंजुमन सदस्य) बोले:
“हम सिर्फ जुलूस नहीं निकाल रहे, बल्कि अपने अंदर नबी की तालीम उतार रहे हैं।”
क्या कहता है बहराइच का माहौल?
गली-मोहल्ले सजे हैं, चाय की दुकानों पर चर्चा गर्म है, और बच्चे रात भर LED की झिलमिलाहट गिनते हैं। लेकिन इस बार चर्चा सिर्फ लाइटिंग की नहीं, सोच की रोशनी की भी हो रही है। DJ हटे, नात बढ़ी – बहराइच के जश्न में इस बार volume नहीं, value बढ़ी है।