“सीट दो या ना दो, लड़ेंगे ज़रूर!” – मांझी का मिशन बोधगया

साक्षी चतुर्वेदी
साक्षी चतुर्वेदी

राजनीति में ड्रामा हो तो बिहार का नाम सबसे ऊपर आता है। और इस बार मुख्य किरदार हैं – बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री और HAM पार्टी प्रमुख श्री जीतन राम मांझी

हाल ही में सीट बंटवारे में ज़रा ठगा-सा महसूस कर रहे मांझी जी ने कहा है कि सीट मिले या ना मिले, लड़ाई तो लड़नी है। उन्होंने एलान किया है कि बोधगया और मखदूमपुर से उनकी पार्टी के उम्मीदवार मैदान में उतरेंगे – भले ही ये सीटें आधिकारिक तौर पर चिराग पासवान की एलजेपी (रामविलास) को दी जा चुकी हों।

“नीतीश जी का ग़ुस्सा जायज है… और मेरा भी!”

पत्रकारों से बातचीत में मांझी जी ने बड़े ठंडे ग़ुस्से में कहा, “नीतीश कुमार का ग़ुस्सा जायज है। मैं उनके ग़ुस्से से सहमत हूं। हम भी दो सीटों पर लड़ेंगे – चाहे जो हो।”

ये स्टेटमेंट सुनकर ऐसा लगा जैसे मांझी जी अब राजनीति नहीं, स्वाभिमान का युद्ध लड़ने जा रहे हैं।

सीट शेयरिंग की राजनीति और ‘हम’ की नाराज़गी

NDA में सीटों का बंटवारा कुछ इस तरह हुआ है:

  • BJP – 101 सीटें
  • JDU – 101 सीटें
  • Chirag Paswan (LJP-R) – 29 सीटें
  • HAM (जीतन मांझी) – सिर्फ 6 सीटें

अब मांझी जी की परंपरागत सीटें – बोधगया और मखदूमपुर – जब एलजेपी को दे दी गईं, तो वो बोले – “हमको क्या समझ रखा है? गेस्ट अपीयरेंस वाला रोल?”

“छोटी पार्टी हूं लेकिन इज़्ज़तदार हूं”

मांझी जी का यह कहना साफ है कि सीटें कम मिलना ठीक है, पर अपनी ज़मीन तो छोड़ नहीं सकते“हम भी NDA के साथी हैं, लेकिन अगर कोई हमारे इलाके में घुस आए तो फिर ग़ुस्सा तो आएगा ही,” उन्होंने कहा।

मतलब साफ है:
“इज़्ज़त बचानी है, चाहे गठबंधन बिगड़ जाए!”

बोधगया और मखदूमपुर में अब “धमाकेदार मुक़ाबला” तय!

अब जबकि HAM और LJP(R) दोनों ही इन सीटों पर उम्मीदवार उतार सकते हैं, तो NDA के भीतर “दोस्ताना मुकाबला” देखने को मिल सकता है। और विपक्ष तो दूर से ही मज़े ले रहा होगा!

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