
नेतन्याहू अब “No Chill” मोड में हैं! इसराइली मीडिया की मानें तो अगली कैबिनेट मीटिंग में वो एक ऐसा प्रस्ताव रखने वाले हैं जो सीधे ग़ज़ा पट्टी पर पूरा कब्ज़ा चाहता है।
सेना बोले – “हम तो नहीं मानते”, नेतन्याहू बोले – “तो इस्तीफ़ा दो भाई!”
सूत्रों के मुताबिक़, नेतन्याहू ने ये भी कह दिया है कि अगर इस प्लान से किसी को दिक्कत है – ख़ासकर चीफ़ ऑफ स्टाफ को – तो वो कुर्सी छोड़ सकते हैं। मतलब साफ़ है: या तो नेतन्याहू के साथ चलो, या इस्तीफ़े की चिट्ठी लिखो!
अब ज़रा सोचिए, ऐसा लगे कि बॉस बोले – “नया टारगेट है हर दिन 100 सेल, नहीं कर सकते तो HR से मिल लो!”
बंधक परिवारों की चिंता – “हमारे अपनों का क्या?”
इस बीच, उन 50 बंधकों में से करीब 20 के अब भी ज़िंदा होने की उम्मीद है। बंधकों के परिवार अब टेंशन में हैं कि अगर ग़ज़ा पर ज़ोर-जबरदस्ती हुई, तो बंधकों की जान को सीधा ख़तरा हो सकता है।
एक परिवार ने कहा, “हमारा बच्चा लौटा नहीं, और नेतन्याहू नए नक़्शे बना रहे हैं!”
पब्लिक बोले – “हमें बंधक वापसी चाहिए, जंग नहीं!”
हालिया सर्वे में ये साफ़ हुआ है कि हर चार में से तीन इसराइली नागरिक युद्धविराम और बंधकों की सुरक्षित वापसी के पक्ष में हैं। लेकिन नेतन्याहू के बयान से लग रहा है, जैसे वो सर्वे को सिर्फ “Feedback Form” मानते हैं।
नेतन्याहू का प्लान बोले – “Full Control or No Control!”
जहाँ एक तरफ नेतन्याहू का ये सख्त रुख है, वहीं सेना में मतभेद और जनता में चिंता भी बढ़ रही है। सवाल ये है – क्या ये प्लान सुरक्षा लाएगा, या और अस्थिरता?
“अगर Plan A में hostage बच जाएं और Plan B में सब ख़त्म हो जाए… तो Plan C क्या है?”