
ईरान ने अमेरिकी सैन्य ठिकानों पर हमला कर दिया और जवाबदेही से पहले ही क्लीन चिट दे दी — “क़तर का इसमें कोई हाथ नहीं।” विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता इस्माइल बक़ाएई ने सोशल मीडिया पर ‘नो ब्लेम गेम’ खेलते हुए स्पष्ट किया कि हमला आत्मरक्षा में था और पड़ोसी देशों से रिश्तों में कोई खटास नहीं लाई जाएगी। यानी मिसाइल छोड़ी गई थी, लेकिन ‘डिप्लोमैसी’ का चेहरा टच-अप के साथ पेश किया गया।
मोदी बोले — ऑपरेशन सिंदूर! तालियां नहीं, बिजली गूंजी!
क़तर की चुप्पी टूटी — UN को लिखा खत
क़तर ने अपनी “शांतिप्रिय” छवि पर जरा भी धूल न पड़ने देने की कसम खाते हुए संयुक्त राष्ट्र महासचिव को चिट्ठी लिखी और हमले की निंदा की। अब सवाल ये नहीं कि क़तर ने क्या कहा — बल्कि ये है कि ईरान को पहले ही क्यों सफाई देने की ज़रूरत पड़ गई? लगता है पड़ोसी देशों के रिश्ते अब ड्रोन से नहीं, डिप्लोमैटिक डिस्क्लेमर से तय हो रहे हैं।
इसराइल ने कहा — “लायन जाग गया है!”
इसराइल ने एलान किया कि “ऑपरेशन राइजिंग लायन” के ज़रिए उसने ईरान के परमाणु और बैलिस्टिक डबल थ्रेट को खत्म कर दिया है। यहां “खत्म” का मतलब क्या है, यह अब भी अंतरराष्ट्रीय विश्लेषकों के लिए चैटGPT टाइप सवाल बना हुआ है। लेकिन इसराइल कह रहा है — मिशन कंप्लीट, कैमरे ऑफ। और हां, वो परमाणु वैज्ञानिक भी अब “पूर्व” हो चुके हैं।
नेतन्याहू बोले — “हम इतिहास रच चुके हैं”
प्रेस कॉन्फ्रेंस में इसराइली PM नेतन्याहू ने कहा कि इस ऑपरेशन से देश ने खुद को दुनिया की प्रमुख शक्तियों की कतार में खड़ा कर दिया है। यानी अब सिर्फ अमेरिका और रूस नहीं, बल्कि इसराइल भी उस WhatsApp ग्रुप में है, जहां युद्ध और शांति के GIF भेजे जाते हैं।
भारत को चिंता — तेल पर मंड़राता भूचाल
अब भारत इस झगड़े को भक्ति और बाहुबल के चश्मे से नहीं, पेट्रोल पंप की कीमतों से देख रहा है। मध्य पूर्व से तेल और गैस की सप्लाई में जरा भी अस्थिरता आई, तो भारत में डीज़ल के दाम उतने ही ऊपर जाएंगे जितना नेतन्याहू का आत्मविश्वास। ऐसे में सवाल है — क्या भारत के लिए कूटनीति का समय है या रिफाइनरी रीशफल का?
अमेरिका, ईरान और बाकी सब — “ब्लेम गेम 2025” चालू
ईरान कह रहा है: “हमने सिर्फ जवाब दिया”
क़तर कह रहा है: “हम वहां थे ही नहीं”
इसराइल कह रहा है: “हमने सब साफ कर दिया”
और भारत सोच रहा है: “हमारा तेल किस टंकी से आएगा?”
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