
जब दो पड़ोसी बमों के ज़रिए “हैलो” बोलते हों, तो बातचीत की टेबल पर पारले-जी नहीं, परमाणु फाइलें खुलती हैं। कुछ ऐसा ही हो रहा है ईरान और इसराइल के बीच, जहाँ हथियार बोल रहे हैं और वार्ता चुप है।
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अब्बास अराग़ची की दो टूक: “हम कोई झुकने वाले नहीं”
ईरानी विदेश मंत्री अब्बास अराग़ची ने जेनेवा में स्पष्ट कर दिया कि जब तक इसराइल मिसाइलें दागता रहेगा, तब तक ईरान अपने शांतिपूर्ण (हमें गंभीरता से लेना होगा!) परमाणु कार्यक्रम पर बातचीत नहीं करेगा।
उनका कहना है,”हम पर हमला और बातचीत साथ-साथ नहीं चल सकते। ये कोई Netflix सीरीज़ नहीं है!”
साथ ही उन्होंने अंतरराष्ट्रीय क़ानून का हवाला देते हुए कहा कि इसराइल के हमले गैरक़ानूनी हैं।
इसराइल का जवाब: “तैयार रहो, ये लंबी लड़ाई है”
इसराइल के चीफ़ ऑफ़ स्टाफ़ इयाल ज़मीर ने एक वीडियो संदेश में जनता को सावधान कर दिया है कि “आसान दिन गए, अब कठिन दिन आ रहे हैं”। उनका टोन बिल्कुल वैसा था जैसा टीवी सीरियल के विलेन क्लाइमैक्स में देता है।
जेनेवा बैठक: यूरोपीय नेताओं की गुहार, लेकिन…
जेनेवा में हुई बैठक में यूरोपीय नेताओं ने ईरान से गुज़ारिश की कि वो अमेरिका के साथ फिर से बातचीत शुरू करे। लेकिन अराग़ची ने उन्हें इतना ही कहा होगा,”पहले इसराइल को समझाओ, फिर हम सोचेंगे!”
मिसाइलें और मिज़ाज: बातचीत का माहौल या युद्ध की बिसात?
इसराइली सेना ने दावा किया है कि उन्होंने ईरान के मिसाइल ठिकानों पर फिर से बड़ा हमला किया है। कुल मिलाकर, डिप्लोमेसी की चाय अभी मिसाइलों की भाप से ठंडी हो रही है।
जब तक गोली चलेगी, गुफ्तगू नहीं होगी
दुनिया समझा रही है: “बैठो, बात करो।”
ईरान कह रहा है: “पहले रोक लो गोलियां।”
इसराइल कहता है: “पहले बताओ तुम्हारे पास क्या है।”
और अमेरिका, यूरोप एक साथ कहते हैं: “हम तो बस देख रहे थे…”
ईरान और इसराइल की लड़ाई अब सिर्फ़ ज़मीन पर नहीं, कूटनीति के गलियारों में भी गूंज रही है। लेकिन जब तक “हमला पहले किसने किया?” का झगड़ा चलेगा, तब तक बातचीत की कुर्सियाँ खाली ही रहेंगी।