
मध्य-पूर्व की जमीन फिर से सुलग रही है। अमेरिका द्वारा ईरान के न्यूक्लियर ठिकानों पर B-2 बॉम्बर से बम बरसाने के सिर्फ 36 घंटे बाद, जवाबी हमला सीरिया में हो गया। ये महज़ मोर्टार फायरिंग नहीं, बल्कि ईरान की ‘हिडन आर्मी’ का संकेत है — “अब असली खेल शुरू होगा।” ट्रंप ने बटन दबाया, अब ईरान ने “रिमोट ऑन” कर दिया।
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अमेरिकी अड्डे पर निशाना, हसाका बना हड़कंप का केंद्र
ईरानी न्यूज़ एजेंसी मेहर न्यूज ने दावा किया कि सीरिया के हसाका प्रांत में स्थित अमेरिकी बेस पर मोर्टार से हमला हुआ। भले ही ईरान ने इसकी आधिकारिक जिम्मेदारी न ली हो, लेकिन अंदाज़ वही है जो ईरानी चेतावनियों से मेल खाता है। कभी हसाका ‘हॉटस्पॉट’ था, अब ‘हॉट टारगेट’ बन गया है।
तीन बेस तोड़े, अब तीन ठिकानों की बारी?
अमेरिका ने ईरान के तीन प्रमुख परमाणु अड्डों — नतांज, इस्फाहान और फोर्डो को तबाह किया। जवाब में ईरान भी तीन अमेरिकी बेस पर अटैक की तैयारी में है। पहला सीरिया में हो चुका। अब इराक़, क़तर या यूएई के बेस अगला नंबर हो सकते हैं। यह सीधा खेल नहीं है, ये “क्विड-प्रो-को जंग” है।
बी-2 बॉम्बर से आई तबाही, ट्रंप बोले – मिशन सक्सेस, ईरान बोला – अभी शुरुआत है
B-2 स्पिरिट बॉम्बर से हमला कर ट्रंप ने कहा, “ईरान के न्यूक्लियर सपने हमने खत्म कर दिए।” लेकिन शायद ट्रंप भूल गए कि सपनों के मरने से पहले आंखों में खून उतर आता है। B-2 ने किया हमला, अब ईरान ‘Plan B’ पर है।
सीरिया – प्रॉक्सी वॉर का नया मैदान
ईरान की प्रॉक्सी ताकतें पहले से ही सीरिया में जमी हुई हैं। बशर अल-असद सरकार की मदद से वहां ईरान का गढ़ मजबूत है। अमेरिकी बेस पर हमला इस ‘साइलेंट पावर’ का पब्लिक डेमो है। यहां रॉकेट चल रहे हैं, और पीछे से “रीमोट कंट्रोल” तेहरान चला रहा है।
क्या ये ट्रंप की सबसे बड़ी विदेश नीति भूल थी?
ईरान को छेड़ना इतिहास में कभी भी ‘लो-कॉस्ट मूव’ नहीं रहा है। ट्रंप का यह फैसला अमेरिका को लंबे संघर्ष में घसीट सकता है — जिसमें जख्म ज़्यादा, जीत संदिग्ध होगी। जंग का स्टार्टअप ट्रंप ने किया, अब फंडिंग ईरान कर रहा है।
मध्य-पूर्व फिर बारूद पर, और ट्रेलर तो बस शुरू हुआ है…
सीरिया में हमला सिर्फ जवाब नहीं, रणनीति है। ईरान धीरे-धीरे उन सभी जगहों पर अमेरिका को निशाना बना सकता है जहां वह लंबे समय से ‘बॉस’ बना बैठा था। और ये युद्ध उतना सादा नहीं होगा — ये तकनीक, प्रॉक्सी और प्रोपेगेंडा की “3P War” होगी।
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