
हाल ही में इजरायल द्वारा कतर की राजधानी दोहा और यमन की राजधानी सना पर किए गए हमलों ने खाड़ी क्षेत्र में उबाल ला दिया है। इन्हीं घटनाओं के बीच ईरान के सुप्रीम लीडर अयातुल्ला अली खामनेई ने बड़ा बयान दिया है।
उन्होंने मुस्लिम देशों से एकजुट होने की अपील करते हुए अमेरिका और इजरायल को जमकर लताड़ा। उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा कि “अमेरिका किसी का सच्चा दोस्त नहीं, वह केवल मुस्लिम देशों को अपने हितों के लिए इस्तेमाल करता है।”
“अमेरिका भरोसे के लायक नहीं” – खामनेई की कड़ी चेतावनी
खामनेई ने X (पूर्व ट्विटर) पर पोस्ट में कहा:
“क्षेत्रीय देशों को यह समझना चाहिए कि अमेरिका भरोसेमंद नहीं है। वह केवल मुस्लिम देशों का धन और ताकत अपने साम्राज्यवादी मकसदों के लिए इस्तेमाल करता है।”
उन्होंने यह भी जोड़ा कि इस्लामी देशों की एकता ही साम्राज्यवादी ताकतों का तोड़ है।
कतर के दोहा पर इजरायल का हमला – क्या था टारगेट?
इजरायल ने दावा किया कि उसने कतर के दोहा में हमास के शीर्ष नेताओं को निशाना बनाया। खुफिया जानकारी के आधार पर की गई इस कार्रवाई में हमास के पांच सदस्य मारे गए, लेकिन मुख्य लीडर बच निकले।
यह पहला मौका है जब इजरायल ने खुले तौर पर कतर की राजधानी पर एयरस्ट्राइक की बात स्वीकार की है।

अमेरिका-इजरायल की बमबारी पर ईरान का जवाब
कुछ दिनों पहले अमेरिका और इजरायल ने मिलकर ईरान के तीन परमाणु ठिकानों पर भी हमला किया था। इसमें अमेरिका ने बी-2 स्टील्थ बमबर्स का इस्तेमाल किया, जो जमीन के 200 फीट नीचे तक जाकर लक्ष्य को तबाह कर सकते हैं।
इसके जवाब में खामनेई का यह बयान किसी रणनीतिक ऐलान से कम नहीं माना जा रहा।
मुस्लिम देशों की एकता पर जोर
खामनेई ने खास तौर पर अरब और इस्लामी देशों से अपील की:
“अब वक्त आ गया है कि मुस्लिम देश आपसी मतभेद भुलाकर एकजुट हों और साम्राज्यवादी ताकतों के खिलाफ मजबूत मोर्चा बनाएं।”
क्या बदल रहा है मिडल ईस्ट का पावर बैलेंस?
यह बयान केवल ईरान का राजनीतिक स्टैंड नहीं बल्कि पूरे मिडल ईस्ट की पॉलिटिकल डायनामिक्स को बदल सकता है। कतर जैसे देशों पर हमले, और हमास की उपस्थिति को लेकर इजरायल का आक्रामक रुख आने वाले समय में एक बड़े भू-राजनीतिक संघर्ष का संकेत दे रहा है।
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