
जब अमेरिका के (?) राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन अलास्का में आमने-सामने बैठे, तो दुनिया की आंखें एक बार फिर CNN, RT और ट्विटर की लाइव स्टोरीज़ पर टिकी थीं।
लेकिन इस सर्द मुलाक़ात में एक गर्मजोशी भरा बयान भारत से आया — “भारत इस शिखर बैठक का स्वागत करता है।”
भारत ने कहा: “Only Peace Please!”
विदेश मंत्रालय ने बयान में कहा:
“भारत अलास्का में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के बीच शिखर बैठक का स्वागत करता है।”
यानि ट्रंप और पुतिन के मिलने पर भारत खुश है। इतना खुश, जितना आप तब होते हैं जब रिचार्ज के साथ 1GB डेटा extra मिल जाए।
बातचीत ही रास्ता है, गोली नहीं
भारत ने कहा:
“आगे का रास्ता केवल बातचीत और कूटनीति से ही निकल सकता है। दुनिया यूक्रेन में संघर्ष का जल्द अंत देखना चाहती है।”
अनुवाद:
“भाई, लड़ना छोड़ो, बैठो और बात करो।”
(या फिर जैसे हम भारतीय कहते हैं, “चाय पे चर्चा कर लो।”)
पुतिन-ट्रंप मुलाकात: अजीब लेकिन ज़रूरी
अब ट्रंप और पुतिन की मुलाक़ात एकदम Netflix के crossover एपिसोड जैसी थी। एक ओर ट्रंप जो खुद अमेरिका में केसों से घिरे हैं, और दूसरी ओर पुतिन, जिनके खिलाफ आधी दुनिया प्रतिबंध लगा चुकी है।
लेकिन अलास्का में उनकी मुलाक़ात ने सबको चौंका दिया। कई देशों ने eyebrow raise किया, और भारत ने hand raise करके कहा —

“Very good. Keep it up. No fighting, only talking!”
अलास्का: जहाँ मीटिंग से पहले मौसम और मूड दोनों ठंडे थे
सोचिए, मीटिंग हुई भी अलास्का में — यानी जहां टेम्परेचर -10°C और अंतरराष्ट्रीय रिश्तों का टेम्परेचर -100°C चल रहा था।
लेकिन भारत ने कहा — “हम इस पिघलती बर्फ में उम्मीद की लौ देखते हैं।”
(शायद भारत चाहता है कि ट्रंप अगली बार शिखर सम्मेलन मणिपुर या लद्दाख में करें, ताकि पर्यटन भी बढ़े।)
यूक्रेन संघर्ष: भारत का नजरिया
भारत का मूल संदेश स्पष्ट है —
“कोई भी जंग जीत कर भी सब कुछ हार जाता है, लेकिन शांति में सब कुछ संभव है।”
ड्रामा ये है कि अमेरिका और रूस दोनों अपने-अपने हथियारों के स्टॉक बढ़ा रहे हैं… और भारत कह रहा है: “भाई, रबड़ी खाओ, बम नहीं फोड़ो।”
बात करो, गोली नहीं!
भारत का रुख कूटनीति के पक्ष में है, और वह शांति का मध्यस्थ बनकर उभरने की कोशिश कर रहा है। अलास्का में जो बर्फ पिघली है, भारत चाहता है कि अब यूक्रेन की ज़मीन पर भी बर्फ नहीं, फसलें उगें।
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