
सोमवार देर शाम दक्षिण और मध्य एशिया के लिए सहायक अमेरिकी व्यापार प्रतिनिधि ब्रेंडन लिंच के नेतृत्व में अमेरिकी व्यापार प्रतिनिधिमंडल दिल्ली पहुंचा। यह टीम मंगलवार को भारत के वाणिज्य मंत्रालय के अधिकारियों से आमने-सामने बातचीत करेगी।
ये वार्ता ऐसे समय में हो रही है जब दोनों देशों के बीच ट्रेड डील पर ब्रेक लग गया था, खासकर टैरिफ और रूस से तेल आयात को लेकर अमेरिका की नाराज़गी के चलते।
क्यों अटकी थी बातचीत? – अमेरिका का टैरिफ बम
भारत और अमेरिका के बीच व्यापारिक बातचीत उस वक्त ठप हो गई जब अमेरिका ने:
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7 अगस्त से 25% पारस्परिक शुल्क (reciprocal tariffs) लागू कर दिए
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27 अगस्त से भारत पर अतिरिक्त 25% टैरिफ लगाए – रूस से कच्चा तेल खरीदने के चलते
भारत ने इसे “संप्रभुता में हस्तक्षेप” माना और वार्ता को ठंडे बस्ते में डाल दिया।
“अब देखेंगे वार्ता का भविष्य…” – भारत के मुख्य वार्ताकार की टिप्पणी
भारत की ओर से विशेष सचिव राजेश अग्रवाल ने कहा:
“हम विभिन्न स्तरों पर बातचीत कर रहे हैं… अमेरिकी व्यापार दल आज रात भारत पहुंच रहा है और कल देखेंगे कि वार्ता का भविष्य क्या होगा।”
भारतीय निर्यातकों की चिंता – टैरिफ ने तोड़ी कमर
बड़ी बात ये है कि भारतीय निर्यातकों को अमेरिकी आयातकों से मिलने वाले ऑर्डर रद्द होने लगे हैं।
कारण:

भारत पर भारी टैरिफ लगने के कारण अमेरिका ने सप्लाई चेन को अन्य देशों की ओर मोड़ना शुरू कर दिया है।
सरकार राहत पैकेज पर विचार कर रही है लेकिन भीतर मतभेद और असर का सटीक अनुमान न होना इसमें देरी कर रहा है।
“वर्चुअल बातचीत से कोई बात नहीं बनी” – माहौल बना नहीं अब तक
एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि:
“हमने वर्चुअल मीटिंग्स की, लेकिन जब तक माहौल पॉजिटिव नहीं होता, प्रगति नहीं होती।”
वहीं, वाणिज्य सचिव सुनील बर्थवाल ने कहा कि दोनों देशों में अब भी व्यापारिक मोर्चे पर “सकारात्मक सोच” बनी हुई है।
क्या कोई डील बन पाएगी?
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अब देखना ये है कि एक दिन की यह बातचीत आने वाले हफ्तों में रास्ते खोलेगी या दरवाज़े बंद करेगी?
“कभी खट्टा, कभी मीठा… सितारों का आज का स्वाद कुछ यूं रहेगा!”