
भारत और अमेरिका का रिश्ता अब वो पुराने ज़माने की मोहब्बत जैसा नहीं रहा, जिसमें रेडियो पर बजता था – “दोस्ती में नो Sorry, नो Thank You!”
अब रिश्ते में हर चीज़ का टैरिफ है — 25% बेस रेट और 25% भावनात्मक सरचार्ज।
50% टैरिफ: व्यापार में खटास या राजनीति में मिठास?
डोनाल्ड ट्रंप ने भारत पर 50% टैरिफ क्या लगाया, मानो अमेरिका ने मसालेदार ट्रेड बिरयानी में अतिरिक्त कर मिर्ची डाल दी हो। जहां भारत ने संयम से काम लिया, वहीं ट्रंप ट्विटर पर ट्रिगर हो गए और बोले:
“लगता है हमने भारत और रूस को खो दिया…”
(Translation: अब दोस्ती की टिक-टोक नहीं, भू-राजनीतिक झांझ का रील चल रहा है)
ट्रंप के बदले सुर: “मोदी मेरा मित्र, पर व्यापार नहीं”
ट्रंप अब कह रहे हैं कि मोदी जी उनके अच्छे दोस्त हैं। मतलब, “दिल तो अब भी हिंदुस्तानी है, लेकिन ट्रेड टेबल पर भावनाएं काम नहीं आतीं!”
उन्होंने दावा किया कि भारत अमेरिका से कम सामान खरीदता है। इससे ट्रेड असंतुलन बढ़ा है।
सवाल ये उठता है कि:
क्या ट्रंप वाकई दोस्ती बचा रहे हैं या अगला चुनाव देखते हुए विदेश नीति को इमोशनल कर रहे हैं?
भारत की ‘शांत चुप्पी’: टैरिफ आया, मन की बात नहीं गई
भारत की तरफ से कोई उग्र बयान नहीं, कोई धमाका नहीं। केवल इतना कहा गया:
“हम निष्पक्ष, संतुलित और पारस्परिक रूप से लाभकारी समझौते के पक्ष में हैं।”
मतलब, भारत ने अमेरिकी ‘ट्रेड मिसाइलों’ पर कूटनीतिक रक्षाकवच पहन रखा है।

अमेरिका को डर: कहीं भारत रूस-चीन की तरफ तो नहीं?
ट्रंप का बयान कि भारत और रूस चीन की तरफ झुक रहे हैं, ये बताता है कि अमेरिका अब सिर्फ इकोनॉमिक सुपरपावर नहीं, बल्कि कूटनीतिक चिंतामणि भी बन गया है। लेकिन भारत की नीति अभी भी गुटनिरपेक्षता 2.0 की तरह दिखती है — दोस्ती सबसे, गुलामी किसी की नहीं।
मोदी का ट्वीट, ट्रंप की तारीफ: प्यार में तकरार का नया दौर
पीएम मोदी ने ट्रंप के बयान पर बेहद सधी प्रतिक्रिया दी:
“राष्ट्रपति ट्रंप की भावनाओं और रिश्तों के सकारात्मक आकलन की मैं गहराई से सराहना करता हूं…”
Translation: “हम भी दोस्तों में इंटरेस्ट रखते हैं, पर ईएमआई पर नहीं!”
क्या नया व्यापार समझौता होगा?
इस पूरे ड्रामे का एंडिंग क्लाइमैक्स अभी बाकी है। क्या भारत और अमेरिका मिलकर नया व्यापारिक समझौता करेंगे?
या फिर ये रिश्ता “अमेरिका लव्स इंडिया” से “It’s Complicated” में बदल जाएगा?
रिश्तों की राजनीति में अब इकोनॉमिक इमोशन
भारत और अमेरिका के रिश्ते सिर्फ डिफेंस या डेटा तक सीमित नहीं, अब ये ट्विटर और टैरिफ दोनों से प्रभावित हो रहे हैं। ट्रंप का हालिया बयान एक तरफ जहां चिंता बढ़ाता है, वहीं भारत की संयमित नीति वैश्विक मंच पर उसकी परिपक्वता दिखा रही है।
कूटनीति में जब टैक्स का झगड़ा हो, तब “मित्रता” सबसे बड़ा टैक्स-सेविंग टूल बन जाता है।
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