
बीजिंग स्थित भारतीय दूतावास ने गुरुवार 24 जुलाई से चीनी नागरिकों को वीज़ा देने की घोषणा की है। यह फैसला साल 2020 के गलवान संघर्ष के बाद पहली बड़ी ‘सॉफ्ट पॉवर’ पेशकश मानी जा रही है।
डिप्लोमैटिक डायलॉग: अब रिश्तों की “LAC” पर टूरिस्ट बैग रखे जाएंगे, बॉर्डर बैरिकेड नहीं।
पांच साल बाद फिर कैलाश – फिर वीज़ा
2020 के गलवान संघर्ष के बाद भारत और चीन के संबंधों में भारी तनाव था। न केवल व्यापार, बल्कि पर्यटन और वीज़ा सुविधाएं भी पूरी तरह ठप हो गई थीं।
हालांकि जुलाई 2025 में कैलाश मानसरोवर यात्रा की बहाली ने उम्मीद जगाई थी। अब भारत का यह वीज़ा निर्णय उसी सकारात्मक कड़ी का अगला कदम माना जा रहा है।
चीनी विदेश मंत्रालय भी मुस्कराया
चीनी विदेश मंत्रालय ने कहा, “यह भारत का स्वागत योग्य और सकारात्मक कदम है। दोनों देशों के नागरिकों के बीच आवाजाही रिश्तों को मजबूत करेगी।”
यह पहली बार है जब चीनी पक्ष ने खुलकर भारत के फैसले का समर्थन किया है — जो बताता है कि ड्रैगन भी अब सिर्फ आग नहीं, चाय पीना चाहता है!
BRICS की ब्रेकथ्रू डिप्लोमेसी
पिछले साल अक्टूबर में ब्रिक्स सम्मेलन (कज़ान, रूस) के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच पांच साल बाद पहली औपचारिक बातचीत हुई। उसके बाद से दोनों देशों में “शांति के इंस्टाग्राम फिल्टर” की तरह हल्का-हल्का सुधार दिखने लगा।

भारत घूमेगा ड्रैगन! पर GPS साथ रखें…
अब जब चीनियों को फिर से भारत में घुसने का वीज़ा मिलेगा, तो चाइनीज़ टूर गाइड्स के टूर प्लान में ताजमहल, बनारस और गोवा के साथ अब WhatsApp translation tool भी अनिवार्य होगा।
: टूर पैकेज में अब लिखा होगा – “इंडिया में दिल जीतने आएं, जमीन नहीं।”
डिप्लोमेसी अब वीज़ा मोड में
यह कदम सिर्फ टूरिज़्म नहीं, ट्रस्ट का टिकट है। भारत और चीन के बीच नाज़ुक रिश्तों में यह फैसला सॉफ्ट डिप्लोमेसी का इंडिकेटर है, जिससे भविष्य में व्यापार, सांस्कृतिक आदान-प्रदान और सहयोग को नया आधार मिल सकता है।
अंत में
“चीनियों को अब इंडिया का वीज़ा मिलेगा, बस GPS गलवान ना दिखाए – बाकी अतिथि देवो भव!”