Cricket या आतंक? भारत-पाक मैच पर सियासत तेज़!

गौरव त्रिपाठी
गौरव त्रिपाठी

एशिया कप 2025 में भारत और पाकिस्तान के बीच होने वाला मुकाबला सिर्फ एक खेल नहीं रहा — यह अब एक राजनीतिक बहस और जन-भावनाओं का मुद्दा बन चुका है।

मैच कब और कहां?
रविवार, दुबई इंटरनेशनल क्रिकेट स्टेडियम

विरोध में AAP: “क्रिकेट और टेररिज़्म साथ नहीं चल सकते”

शनिवार को AAP के दिल्ली अध्यक्ष सौरभ भारद्वाज और अन्य नेताओं ने ज़ोरदार प्रदर्शन किया।
उनकी मांग थी कि भारत को पाकिस्तान के साथ मैच रद्द कर देना चाहिए।

सौरभ भारद्वाज बोले: “26 बहनों का सिंदूर उजड़ा, आतंकियों ने चुन-चुनकर मारा। ऐसे में पाकिस्तान के साथ क्रिकेट कैसे खेल सकते हैं?”

उन्होंने सरकार पर सवाल उठाया कि जब ट्रेड और टेररिज़्म साथ नहीं चल सकता, तो क्रिकेट और टेररिज़्म कैसे चल सकता है?

अनुराग ठाकुर का जवाब: “ICC टूर्नामेंट में खेलना मजबूरी”

बीजेपी सांसद और पूर्व खेल मंत्री अनुराग ठाकुर ने इस विवाद पर सफाई दी कि ये मैच कोई द्विपक्षीय सीरीज़ नहीं, बल्कि एक बहुराष्ट्रीय टूर्नामेंट का हिस्सा है।

 उन्होंने कहा: “अगर भारत नहीं खेलेगा, तो उसे टूर्नामेंट से बाहर होना पड़ेगा, और पॉइंट्स पाकिस्तान को मिल जाएंगे।”

उन्होंने यह भी दोहराया कि भारत ने कई वर्षों से पाकिस्तान के साथ द्विपक्षीय क्रिकेट बंद कर रखा है और जब तक पाकिस्तान आतंकवाद बंद नहीं करता, ऐसा कोई टूर्नामेंट नहीं होगा।

सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा मामला

इस मैच को लेकर गुरुवार को एक जनहित याचिका सुप्रीम कोर्ट में दाखिल की गई थी।
मांग: भारत-पाक मैच को एशिया कप 2025 से रद्द किया जाए।

परंतु कोर्ट ने इसे “तत्काल सुनवाई” के लिए सूचीबद्ध करने से इंकार कर दिया।

सवाल यह है: क्या क्रिकेट आतंकवाद से बड़ा हो सकता है?

विपक्ष का तर्क है कि जब पुलवामा, उरी, और अब पहलगाम जैसे हमले होते हैं, तो भारत को कड़े कूटनीतिक कदम उठाने चाहिए — जिसमें खेल भी शामिल है

AAP और कई अन्य नेता यह पूछ रहे हैं कि जब सैनिकों की शहादत पर शोक और गुस्सा है, तो फिर कैसे क्रिकेट का जश्न मना सकते हैं?

अंतरराष्ट्रीय दबाव और खेल की मजबूरी

ICC और ACC जैसे संगठनों के तहत होने वाले टूर्नामेंट्स में सभी सदस्य देशों का हिस्सा लेना एक शर्त है।
अगर भारत मैच का बहिष्कार करता है, तो टीम को टूर्नामेंट से बाहर किया जा सकता है। प्वाइंट्स विपक्षी टीम को मिलते हैं। भारी जुर्माना या सस्पेंशन भी संभव है। ऐसे में भारत सरकार और BCCI की रणनीतिक स्थिति जटिल हो जाती है।

भारत की नीति: द्विपक्षीय नहीं, बहुपक्षीय में मजबूरी

भारत ने 2008 मुंबई हमलों के बाद से पाकिस्तान के साथ कोई द्विपक्षीय क्रिकेट सीरीज़ नहीं खेली है। लेकिन एशिया कप, T20 वर्ल्ड कप, और चैम्पियंस ट्रॉफी जैसे टूर्नामेंट में भाग लेना अंतरराष्ट्रीय खेल दायित्व बन जाता है।

क्रिकेट बनाम राष्ट्रभावना — एक मुश्किल संतुलन

भारत-पाकिस्तान क्रिकेट मैच हमेशा ही रोमांच से भरा होता है, लेकिन 2025 में ये सिर्फ़ खेल नहीं, बल्कि एक भावनात्मक और राजनीतिक बहस बन चुका है।

एक ओर देश की जनता, शहीदों के परिवार और विपक्ष का गुस्सा, दूसरी ओर अंतरराष्ट्रीय टूर्नामेंट्स में खेलने की मजबूरी।

क्या हमें ऐसे मैचों का बहिष्कार करना चाहिए या कूटनीति के रास्ते हल निकालना चाहिए?

ये सवाल आने वाले समय में और भी ज़्यादा प्रासंगिक हो सकते हैं।

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