आईएमएफ का पाकिस्तान पर आर्थिक पैकेज: शर्तें पूरी, मज़ाक जारी!

हुसैन अफसर
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अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) ने पाकिस्तान को दिए गए 1 बिलियन डॉलर (लगभग 8500 करोड़ रुपये) के आर्थिक पैकेज पर अपने बोर्ड की संतुष्टि जताई है। हालांकि, सवाल उठता है कि क्या ये आर्थिक मदद वास्तव में पाकिस्तान की मदद कर पा रही है या फिर यह सब केवल एक बड़ा मजाक है।

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आईएमएफ ने कहा कि 9 मई को बोर्ड ने पाकिस्तान के प्रदर्शन की समीक्षा की, जिसमें पाकिस्तान ने सभी शर्तों को पूरा कर लिया है। इसका मतलब यह है कि अब पाकिस्तान को और आर्थिक पैकेज मिलने के रास्ते खुल गए हैं। यह राशि सितंबर 2024 में स्वीकृत कुल 7 बिलियन डॉलर के एक्सटेंडेड फंड फैसिलिटी (ईएफएफ) का हिस्सा है, जिसमें अब तक 2.1 बिलियन डॉलर जारी किए जा चुके हैं।

पाकिस्तान की ‘शर्तें पूरी’—आईएमएफ का क्या मतलब है?

आईएमएफ का कहना है कि यह नियमित प्रक्रिया है जिससे यह जांचा जाता है कि देश ने कर्ज की शर्तें पूरी की हैं या नहीं। लेकिन पाकिस्तान की मौजूदा आर्थिक स्थिति पर नजर डालें तो सवाल उठता है कि क्या सच में ये शर्तें पूरी हुई हैं या यह केवल कागजों पर एक झांसा है।

आर्थिक मदद या ‘मज़ाक’?

पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था लगातार संकट में है, महंगाई बढ़ रही है और विदेशी निवेश घट रहा है। ऐसे में आईएमएफ के ‘संतोष’ वाले बयान को कुछ लोग अंतरराष्ट्रीय मज़ाक की तरह भी देख रहे हैं। आखिरकार, कर्ज तो मिलता जा रहा है, लेकिन सुधार दिख नहीं रहा।

आईएमएफ की समीक्षा प्रक्रिया और पाकिस्तान की चुनौती

आईएमएफ की यह समीक्षा प्रक्रिया वाकई में महत्वपूर्ण है, लेकिन उसके बाद भी पाकिस्तान की आर्थिक समस्याएं जस की तस बनी हुई हैं। क्या अगले चरण का पैकेज वास्तव में पाकिस्तान को राहत देगा या फिर यह भी सिर्फ औपचारिकता होगी?

आईएमएफ का बयान पाकिस्तान के लिए एक बड़ी उम्मीद बन सकता है, लेकिन असली सवाल ये है कि क्या यह पैकेज पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था को पटरी पर ला पाएगा या फिर इसे और गहरा आर्थिक संकट झेलना होगा। फिलहाल, आईएमएफ का ‘संतोष’ पाकिस्तान की मुश्किलों पर थोड़ा सा मज़ाक ही लगता है।

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