
ईरान के नव-निर्वाचित राष्ट्रपति मसूद पेज़ेश्कियान ने इसराइल के खिलाफ तीखा बयान देते हुए कहा कि यदि इसराइल अपने हमले नहीं रोकता, तो ईरान की प्रतिक्रिया “काफी कठोर” होगी और दुश्मन को पछताना पड़ेगा। उन्होंने एक्स पर कहा, “हमने हमेशा शांति और सौहार्द की पेशकश की है, लेकिन अब यदि ज़ुल्म बंद नहीं हुआ तो ईरान चुप नहीं बैठेगा।”
राष्ट्रपति ने विशेष रूप से “यहूदी आतंकवाद” का ज़िक्र करते हुए कहा कि इसे हमेशा के लिए समाप्त करने की गारंटी दी जानी चाहिए, वरना प्रतिक्रिया गंभीर होगी।
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मैक्रों का कूटनीतिक प्रस्ताव: “बातचीत का मौका दें”
फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने इसराइल-ईरान तनाव के बीच कूटनीतिक रास्ता सुझाया है। उन्होंने जिनेवा में होने वाली प्रस्तावित बातचीत को लेकर कहा कि यूरोप ईरान को चार-सूत्रीय प्रस्ताव देने वाला है।
उन्होंने कहा, “हमें यह दिखाने की ज़रूरत है कि कूटनीति अब भी संभव है। ईरान को वार्ता की इच्छा ज़ाहिर करनी होगी।” प्रस्ताव के चार मुख्य बिंदु हैं:
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यूरेनियम संवर्धन शून्य करना – IAEA की निगरानी में परमाणु कार्यक्रम को सीमित करने का आह्वान।
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बैलेस्टिक मिसाइलों की निगरानी – जिससे क्षेत्रीय अस्थिरता को रोका जा सके।
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आतंकवादी समूहों की फंडिंग रोकना – जिससे मिडिल ईस्ट में शांति बहाल हो सके।
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बंधकों की रिहाई – ईरानी जेलों में बंद विदेशी नागरिकों को मुक्त करने की मांग।
कूटनीति या संघर्ष: क्या होगा अगला कदम?
अब यह देखना दिलचस्प होगा कि ईरान इस प्रस्ताव पर क्या प्रतिक्रिया देता है। क्या बातचीत के दरवाज़े खुलेंगे या फिर एक और बड़ा टकराव दुनिया को झकझोर देगा? राष्ट्रपति पेज़ेश्कियान का आक्रामक रुख यह दर्शाता है कि ईरान अब पीछे हटने को तैयार नहीं है। वहीं यूरोप अब भी इस तनाव को शांति से सुलझाने की उम्मीद लगाए बैठा है।
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