
राजनीति की सड़कों पर चरित्र कब गिरवी रखा गया, इसका कोई रिकॉर्ड नहीं, लेकिन इस बार भाजपा नेता मनोहरलाल धाकड़ ने एक्सप्रेसवे को ही निजी बेडरूम समझ लिया। छह दिन पहले वायरल हुआ ये वीडियो महज एक “क्लिप” नहीं, बल्कि सियासी नैतिकता का पोस्टमॉर्टम है।
भाजपा जिलाध्यक्ष का वायरल बवाल: नैतिकता सीढ़ियों से उतर गई?
धाकड़, जो जिला पंचायत वार्ड क्रमांक 8 की भाजपा समर्थित सदस्य के पति हैं, को रविवार को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया। वीडियो में वे एक महिला के साथ आपत्तिजनक स्थिति में देखे गए — और ये सब हुआ हाईवे पर, एक्सप्रेसवे पर लगे सीसीटीवी कैमरों की निगरानी में।
ब्लैकमेल से वायरल तक: राजनीति में नया ट्रेंड?
सूत्रों के मुताबिक, NHAI कंट्रोल रूम के तीन कर्मचारियों ने इस वीडियो के बदले धाकड़ से रुपये मांगे। जब पैसे नहीं मिले, तो ‘नैतिक जिम्मेदारी’ का बोझ उठाकर वीडियो सोशल मीडिया की रील्स में तब्दील कर दिया। मंदसौर पुलिस ने तीनों कर्मचारियों को हटवाने की सिफारिश की, और एनएचएआई ने भी उन्हें तात्कालिक प्रभाव से हटा दिया।
कांग्रेस का जवाब: शुद्धिकरण से सद्बुद्धि तक
जैसे ही वीडियो वायरल हुआ, कांग्रेस मौके पर पहुंची — लेकिन आंदोलन नहीं, शुद्धिकरण करने। शामगढ़ ब्लॉक कांग्रेस अध्यक्ष कमलेश जायसवाल के नेतृत्व में कार्यकर्ताओं ने एक्सप्रेसवे पर गंगाजल छिड़का और गायत्री मंत्रों से ‘सड़क धर्म’ की मर्यादा बहाल करने की कोशिश की। लगता है, अब सियासत में भी “जाप” जरूरी हो गया है।
जब नेता सड़कों को स्टेज समझ लें और कैमरे गवाह बन जाएं, तो जनता को शर्म से आंखें झुकानी पड़ती हैं। मनोहरलाल धाकड़ का यह प्रकरण सिर्फ एक व्यक्ति की गलती नहीं, बल्कि सत्ता के मद में चूर होती जा रही राजनीति की पोल खोलता है।
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