देश को मिली आज़ादी… और हमको छुट्टी! जय हिन्द, चलो घूमने- बधाई हो

Saima Siddiqui
Saima Siddiqui

हर साल अगस्त का महीना आते ही देशभक्ति अचानक 4G स्पीड पकड़ लेती है। तिरंगे की तस्वीरें, देशभक्ति वाले गाने, और “जय हिन्द” के साथ रील्स — ऐसा माहौल बन जाता है जैसे Netflix ने “Deshbhakti: The Series” लॉन्च कर दी हो।

गली-गली में झंडा फहरता है, लेकिन दिल में नहीं… दुकान पर “आज सेल है” वाले बैनर के बगल में।
लोग पूछते हैं: “तुम देशभक्त क्यों नहीं दिखते?
अब भैया, देशभक्ति कोई जर्सी है क्या जो पहन के दिखाएं?

असल मुद्दों पर चुप्पी और सोशल मीडिया पर देशप्रेम का शोर — ये है फर्जी देशभक्ति का नया ज़माना, जहां देश से प्यार नहीं, डेटा पैक और DPs बदलने की क्षमता ही सच्ची राष्ट्रभक्ति का पैमाना बन गई है।

जब देशभक्ति स्टेटस बन गई

“मेरा भारत महान” — WhatsApp स्टेटस पर लगा है, और उसी दिन पेट्रोल पंप पर लाइन में कट मार दी। देशभक्ति अब भावना नहीं, status symbol बन चुकी है।
लोग झंडा तो हाथ में लेते हैं, लेकिन प्लास्टिक वाला — जिसे अगले दिन नाली में तैरते हुए देखा जाता है। जैसे राष्ट्रप्रेम एक दिन का इवेंट हो और तिरंगा बस फोटो खिंचवाने का प्रॉप।

सोशल मीडिया की वीर सेना – Keyboard Warriors

हर साल 15 अगस्त और 26 जनवरी को एक नई digital battalion active हो जाती है — जिसका काम है दूसरों की देशभक्ति पर सवाल उठाना, लेकिन खुद घर में AC चला के “जय हिन्द” वाला रील बनाना।
“आपको देश से प्यार नहीं?” पूछने वाले वो लोग होते हैं, जो टैक्स बचाने के लिए CA से “थोड़ा सेटिंग करा दो” कहते हैं।

शहीदों के नाम पर Like और Share की दुकान

“अगर आप सच्चे देशभक्त हैं तो इसे 5 ग्रुप में भेजें!”
ये संदेश शहीदों की कुर्बानी नहीं, फॉरवर्डिंग लिमिट का टेस्ट लगते हैं। देश के लिए जान देने वालों की कहानियां कुछ लोगों के लिए बस engagement content बन चुकी हैं। उनकी शहादत का सम्मान हो, न कि वायरल पोस्ट का campaign.

Deshbhakti लेकिन सुविधा के साथ

Deshbhakti अब वह है जो संडे की छुट्टी में फिट हो जाए। “Flag hoisting 9 बजे है” — सुनते ही जवाब आता है: “भाई थोड़ा लेट कर दो, नींद नहीं खुलती!” और हां, Rashtriya गीत बजे तो उठेंगे ज़रूर — अगर मोबाइल बैटरी 20% से ज़्यादा हो।

फर्जी देशभक्त vs असली देशभक्त

फर्जी देशभक्त वो हैं जो कहते हैं – “देश के लिए जान दे देंगे…” लेकिन Metro में सीट किसी बुज़ुर्ग को नहीं देंगे। वहीं असली देशभक्त चुपचाप काम करता है —ना सोशल मीडिया पे शोर, ना फॉर्मेटेड देशभक्ति का दिखावा।

देश को रील नहीं, रीयल देशभक्ति चाहिए

देशभक्ति तिरंगे वाली DP लगाने से नहीं, बल्कि तिरंगे की इज़्ज़त करने से होती है। शब्दों से नहीं, कर्मों से देशभक्त बनो — वरना ये “देश के लिए सब कुर्बान” वाली बातें, हर साल बस 15 अगस्त तक की सेल लगती हैं।

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