
ग़ज़ा में चल रहे संघर्ष के बीच हमास ने साफ कर दिया है कि जब तक एक स्वतंत्र और संप्रभु फ़लस्तीनी देश की स्थापना नहीं होती, वे अपने हथियार नहीं डालेंगे। यह बयान उस समय आया है जब सीज़फ़ायर और बंधकों की रिहाई को लेकर हमास और इसराइल के बीच बातचीत ठप हो चुकी है।
हमास की प्रतिक्रिया: ‘यह सिर्फ़ प्रोपेगैंडा है’
हमास ने यह बयान अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के मध्य पूर्व दूत स्टीव विटकॉफ़ की टिप्पणी के जवाब में दिया, जिसमें दावा किया गया था कि हमास ने हथियार डालने की इच्छा जताई है।
हमास ने इसे “गलत और भ्रामक” बताते हुए कहा, “जब तक फ़लस्तीन को उसकी ज़मीन, उसकी पहचान और उसका संप्रभुता पूर्ण देश नहीं मिलेगा, हम संघर्ष छोड़ने वाले नहीं हैं।”
इसराइल की प्रमुख शर्त: हमास का निरस्त्रीकरण
इसराइल का रुख स्पष्ट है – किसी भी संघर्षविराम या समझौते से पहले हमास को हथियार डालने होंगे। यही एक प्रमुख अड़चन बनी हुई है।
इसराइली अधिकारियों का कहना है कि जब तक हमास अपनी सैन्य क्षमता नहीं छोड़ता, तब तक स्थायी शांति संभव नहीं।
अंतरराष्ट्रीय दबाव और प्रस्ताव
हाल ही में कई अरब देशों ने भी हमास से आग्रह किया कि वह हथियार छोड़कर ग़ज़ा का नियंत्रण किसी अंतरराष्ट्रीय प्रशासन या फ़लस्तीनी अथॉरिटी को सौंपे।
इसके अलावा, फ़्रांस, कनाडा जैसे देशों ने फ़लस्तीन को औपचारिक मान्यता देने की घोषणा की है, जबकि ब्रिटेन ने इसराइल को चेतावनी दी है कि अगर सितंबर तक कुछ शर्तें नहीं मानी गईं, तो वह भी यही करेगा।
बातचीत क्यों रुकी?
हाल ही में हमास और इसराइल के बीच अप्रत्यक्ष वार्ता चल रही थी, लेकिन कोई ठोस नतीजा सामने नहीं आया। प्रमुख मुद्दा बना हुआ है – हथियार डालना बनाम संप्रभुता देना।
इस गतिरोध ने ग़ज़ा की मानवीय स्थिति को और जटिल बना दिया है।
संप्रभुता बनाम सुरक्षा की यह लड़ाई फिलहाल बिना किसी समाधान के जारी है। हमास और इसराइल दोनों ही अपनी-अपनी शर्तों पर अड़े हुए हैं। वैश्विक समुदाय की नज़रें अब इस बात पर टिकी हैं कि क्या कोई नया राजनयिक प्रयास इस गतिरोध को तोड़ पाएगा।
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