रेट्रो रिव्यू गुड्डी: जब क्रश का इलाज असलियत से होता था

साक्षी चतुर्वेदी
साक्षी चतुर्वेदी

बात उस दौर की है जब सिनेमा ब्लैक एंड व्हाइट से कलर में, और दर्शक रजनीगंधा से रोमांस में बदल रहे थे। लेकिन उसी दौरान आई एक ऐसी फिल्म जिसने सिखाया कि हीरो रील पर जितना चमकता है, रियल में उतना ही पसीना बहाता है।

कुसुम उर्फ गुड्डी – बॉलीवुड फैनगर्ल का OG वर्ज़न

जया भादुरी (अब बच्चन) की डेब्यू फिल्म “गुड्डी” में वह एक स्कूल की छात्रा हैं, जो धर्मेंद्र की ऑल-इन-वन फैन, फॉलोअर और फ्यूचर वाइफ बनना चाहती है। स्कूल के होमवर्क में “A for Apple” की जगह “A for Actor Dharmendra” होता है। इतना प्यार तो आजकल इंस्टाग्राम reels पर भी नहीं दिखता।

जब Crush से हो गया Real World का क्रैश!

गुड्डी को जब शादी के लिए प्रपोज किया जाता है, तो वह “I love Dharmendra” बोलकर पूरी फिल्म में ट्विस्ट डाल देती है। और तब होता है असली ‘पाठ’ – रील और रियल के बीच का फ़र्क।

धर्मेंद्र खुद सामने आते हैं (हां, अपने ही रोल में), और गुड्डी को बताते हैं कि “हम एक्टर्स भी इंसान हैं, लाइट्स ऑफ होते ही हम भी थक जाते हैं, रोते हैं, ब्रेकअप झेलते हैं, और ट्रैफिक में फंसते हैं।”

सिनेमा के पीछे की कहानी: Star नहीं, मेहनतकश इंसान

फिल्म धीरे-धीरे गुड्डी के ज़रिए दर्शकों को भी सिखा देती है कि सिनेमा सपनों की फैक्ट्री जरूर है, लेकिन वहां काम करने वाले भी थके हुए मजदूर होते हैं – सिर्फ फर्क इतना है कि उनके पास मेकअप होता है।

साउंडट्रैक – जब गुलज़ार ने कविता को सुरों में पिरोया

वसंत देसाई के संगीत और वाणी जयराम की आवाज़ ने फिल्म को आत्मा दी।

  • “बोले रे पपीहरा” आज भी मानसून की official playlist में शामिल है।

  • “हमको मन की शक्ति देना” आज भी स्कूल की प्रार्थना सभाओं में motivational booster है।

Cameo Overload: बॉलीवुड का Avengers Assemble

इस फिल्म में जितने कैमियो हैं, उतने तो आजकल किसी अवॉर्ड शो में नहीं दिखते:
दिलीप कुमार, राजेश खन्ना, अमिताभ बच्चन, विनोद खन्ना, शत्रुघ्न सिन्हा, ओम प्रकाश, असरानी, विमी… और निर्देशक खुद ऋषिकेश मुखर्जी!
Literally, Bollywood’s first cinematic universe!

नामांकन का नाम: जया बच्चन की पहली उड़ान

फिल्मफेयर में Best Actress का नामांकन मिला – और यह उनके करियर की नींव बन गई।
No over-the-top glamour, no “item song” – सिर्फ एक भावुक परफॉर्मेंस, जो आज भी दिल छूती है।

अगर आज बनी होती ‘गुड्डी’…

अगर गुड्डी 2025 में बनती:

  • Crush होता रणबीर कपूर पर

  • धर्मेंद्र की जगह सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर

  • साउंडट्रैक में “Bole Re Papi TikTok”

  • और फिनाले में लड़की #BreakThePatriarchy का पोस्टर लेकर निकल जाती!

गुड्डी – सिनेमा की सादगी का सबसे प्यारा चेहरा

“गुड्डी” कोई लार्जर-देन-लाइफ फिल्म नहीं है, लेकिन यह सिखाती है कि ज़िंदगी में असल हीरो वही होता है जो ज़मीन पर चलता है, ना कि स्क्रीन पर उड़ता है।

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