
पूर्व आईआरएस अजय दीक्षित को वस्तु एवं सेवा कर अपीलीय न्यायाधिकरण (GSTAT) का सदस्य मनोमित किया गया है। इसका पोर्टल में लांच किया जा चुका है। यह पोर्टल टैक्सपेयर्स और विभागीय अधिकारियों के बीच लंबे समय से लंबित विवादों को तेज़ और डिजिटल तरीके से निपटाने के लिए तैयार किया गया है।
“GSTAT टैक्स न्याय का प्रतीक बनेगा”
GSTAT टैक्सदाताओं के लिए न्याय का सच्चा प्रतीक है। ‘एक राष्ट्र, एक कर, एक बाजार’ की कल्पना अब और सशक्त हुई है।
GSTAT पोर्टल पर केस फाइलिंग शुरू हो चुकी है, और दिसंबर 2025 से सुनवाई प्रक्रिया शुरू होगी।
4.83 लाख पुराने मामले होंगे ट्रांसफर, अपील की डेडलाइन बढ़ी
GST से जुड़े करीब 4.83 लाख पुराने केसों को इस डिजिटल प्लेटफॉर्म पर स्थानांतरित किया जाएगा। पुराने मामलों को प्राथमिकता दी जाएगी ताकि बोझ नियंत्रित ढंग से सुलझाया जा सके। अपील दाखिल करने की समय सीमा को 30 जून, 2026 तक बढ़ा दिया गया है — जिससे व्यापारियों को राहत मिलेगी।
GSTAT कैसे करेगा काम?
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केस पोर्टल पर ऑनलाइन दायर किए जा सकेंगे
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सुनवाई वर्चुअल/फिजिकल मोड में होगी
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निर्णय की प्रक्रिया पहले से ज्यादा पारदर्शी और तेज़ होगी
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व्यवसायों को कोर्ट-कचहरी के चक्कर से राहत मिलेगी
GSTAT क्यों है ज़रूरी?
GST के लागू होने के बाद भी विवादों की संख्या बढ़ती रही। GSTAT के न होने के कारण केस हाई कोर्ट्स में लंबित पड़े रहे।
अब इस मंच से छोटे-बड़े व्यापारियों को रिलिफ और पारदर्शिता मिलेगी।
यह सिर्फ एक पोर्टल नहीं, Ease of Doing Business की ओर कदम है
GSTAT न सिर्फ़ टैक्स विवादों का समाधान देगा, बल्कि यह भारत के बिज़नेस ईकोसिस्टम को और मज़बूत करेगा। डिजिटल इंडिया, ईज ऑफ डूइंग बिज़नेस और आर्थिक न्याय — ये सब अब एक क्लिक की दूरी पर हैं।