
सोमवार को एम्स गोरखपुर अपने पहले दीक्षांत समारोह का आयोजन करने जा रहा है। इस ऐतिहासिक मौके पर भारत की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु मुख्य अतिथि के रूप में शामिल होंगी।
राष्ट्रपति समारोह के दौरान पहले बैच के मेधावी छात्रों को पदक प्रदान करेंगी और मार्गदर्शक वक्तव्य देंगी। यह कार्यक्रम न केवल छात्रों के लिए, बल्कि पूरे पूर्वांचल के लिए एक गर्व का क्षण है।
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योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में चला था लंबा जनांदोलन
एम्स गोरखपुर की स्थापना कोई अचानक हुई योजना नहीं थी, बल्कि इसके पीछे करीब डेढ़ दशक तक चला जनांदोलन था, जिसकी अगुवाई स्वयं तत्कालीन सांसद योगी आदित्यनाथ ने की थी।
2004 से लेकर 2014 तक, योगी ने सड़क से संसद तक इस मांग को लगातार उठाया। यह उनका संकल्प और दबाव ही था कि 2014 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सत्ता में आते ही यह सपना साकार होने की दिशा में बढ़ा।
शिलान्यास से लोकार्पण तक: पीएम मोदी की भूमिका
एम्स गोरखपुर की औपचारिक शुरुआत 22 जुलाई 2016 को हुई, जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसका शिलान्यास किया।
बाद में जब मार्च 2017 में योगी आदित्यनाथ मुख्यमंत्री बने, तो निर्माण कार्य में आई सभी बाधाएं तेजी से दूर कर दी गईं।
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24 फरवरी 2019 को ओपीडी सेवा शुरू की गई।
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7 दिसंबर 2021 को पीएम मोदी द्वारा इसका लोकार्पण किया गया।
इस संस्थान ने अब पूर्वांचल की लगभग पांच करोड़ आबादी के लिए आधुनिक और सुलभ चिकित्सा सेवाओं का मार्ग प्रशस्त किया है।
पिछड़े पूर्वांचल को बनाया मेडिकल हब
एम्स गोरखपुर की स्थापना से पहले, पूर्वी उत्तर प्रदेश की चिकित्सा व्यवस्था की हालत बेहद खराब थी। बीआरडी मेडिकल कॉलेज गोरखपुर ही एकमात्र बड़ा अस्पताल था, जो खुद संसाधनों की कमी से जूझ रहा था।
लेकिन योगी सरकार के आने के बाद, पूरे क्षेत्र में चिकित्सा एवं स्वास्थ्य सेवाओं की तस्वीर ही बदल गई।

आज गोरखपुर और बस्ती मंडल में कुल 7 मेडिकल कॉलेज सेवा में हैं:
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5 सरकारी: गोरखपुर, देवरिया, कुशीनगर, बस्ती, सिद्धार्थनगर
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1 PPP मॉडल: महराजगंज
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1 निजी: महायोगी गोरखनाथ विश्वविद्यालय (गोरखपुर)
पूर्वांचल में चिकित्सा सेवा का नया सूर्योदय
एम्स गोरखपुर के साथ-साथ अन्य मेडिकल कॉलेजों की स्थापना ने पूर्वांचल को एक मजबूत हेल्थकेयर इन्फ्रास्ट्रक्चर प्रदान किया है। अब यहां इलाज के लिए लखनऊ, दिल्ली या मुंबई नहीं जाना पड़ता।
एम्स की विशेषज्ञ सेवाएं और आधुनिक उपकरणों से युक्त सुविधाएं, इस क्षेत्र को राष्ट्रीय स्तर पर एक प्रमुख चिकित्सा केंद्र बना रही हैं।
एम्स, पूर्वांचल की प्रगति का प्रतीक
एम्स गोरखपुर अब केवल एक अस्पताल नहीं, बल्कि यह पूर्वी उत्तर प्रदेश के विकास और आत्मनिर्भरता का प्रतीक बन गया है।
योगी आदित्यनाथ की दूरदृष्टि, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की प्रतिबद्धता और जनता की अपेक्षाओं ने मिलकर पूर्वांचल को वह सौगात दी है जिसकी उम्मीद वर्षों से थी।
राष्ट्रपति की मौजूदगी में होने वाला यह दीक्षांत समारोह एक ऐतिहासिक क्षण होगा जो चिकित्सा शिक्षा और क्षेत्रीय विकास की एक नई मिसाल पेश करेगा।
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