
21 महीनों की जंग में पहली बार इसराइली सेना (IDF) ने ग़ज़ा के बेहद भीड़भाड़ वाले इलाके देर अल-बलाह में ज़मीनी घुसपैठ का संकेत दे दिया है।
रविवार को IDF ने आसमान से पर्चे गिराकर लोगों को चेताया—“इलाका खाली करो, अल-मवासी की ओर जाओ!”
यानी, अब लड़ाई उन गलियों तक पहुंचने वाली है जहां अभी तक सैनिक कदम नहीं रखे गए थे।
बंधक भी, बम भी—परिवारों की सांसें अटकीं
सबसे बड़ी दुविधा?
वो 50 बंधक, जिनमें से 20 के ज़िंदा होने की उम्मीद है, शायद इसी क्षेत्र में छिपाए गए हैं। बंधकों के परिवार अब डर के दोहरे चक्रव्यूह में हैं—“हमारे लोग जिंदा हैं या हमले में खत्म हो जाएंगे?”
विस्थापितों का शहर, टेंटों की त्रासदी
देर अल-बलाह वैसे ही उन लोगों से भरा पड़ा है जो पहले ही युद्ध से बेघर हो चुके हैं। अब उन्हें फिर अपना टेंट छोड़कर एक नए ‘सुरक्षित’ टेंट की ओर जाना होगा—एक ऐसी जगह जिसकी गारंटी सिर्फ एक पर्चे पर लिखी है।
गोलीबारी में गई ज़िंदगियाँ, राहत लाइन बनी मौत की लाइन
इसी दिन ग़ज़ा सिटी के शिफ़ा अस्पताल के बाहर राहत सामग्री की लाइन में खड़े 40+ लोगों की गोलीबारी में मौत हो गई। “रिलीफ” अब वहाँ का सबसे खतरनाक शब्द बन चुका है।
युद्धविराम की बातें, मगर ज़मीनी हालात गर्म
जहां एक ओर पोप लियो चौदहवें ने कहा कि “इस बर्बरता का अंत होना चाहिए”, वहीं संयुक्त राष्ट्र बार-बार चेतावनी दे रहा है—“ग़ज़ा में लोग भूख से मर रहे हैं।”
इसराइल का कहना है कि राहत व्यवस्था अब हमास के हाथों में नहीं जा रही, पर रिपोर्टें कहती हैं—“राहत की तलाश में निकलने वाले मारे जा रहे हैं।”
युद्ध की शुरुआत और अभी तक की तबाही
यह सब कुछ 7 अक्टूबर 2023 के उस दिन से शुरू हुआ, जब हमास ने हमला किया और 1,200 लोगों की जान गई। अब, ग़ज़ा में इसराइली हमलों में 58,000+ मौतें हो चुकी हैं (हमास-नियंत्रित स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार), जिसे अंतरराष्ट्रीय संस्थाएं भी विश्वसनीय मान रही हैं।
पर्चे गिराए जा रहे हैं, पर भरोसा नहीं…
इसराइली चेतावनी किसी ‘सेफ जोन’ की ओर नहीं, बल्कि युद्ध के अगले अध्याय की ओर इशारा कर रही है। ग़ज़ा में अब लोग सिर्फ घर नहीं, उम्मीदें भी छोड़ रहे हैं।
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