
ग़ज़ा में एक बार फिर ज़िंदगी ने हार मान ली। आधी रात को मध्य ग़ज़ा पट्टी के शरणार्थी कैंप के पास एक राहत सामग्री ले जा रहा ट्रक भीड़ पर पलट गया। कम से कम 20 फ़लस्तीनियों की मौत हो गई और दर्जनों घायल हैं।
यह हादसा उस वक़्त हुआ जब सैकड़ों भूखे लोग खाने की तलाश में ट्रक के इर्द-गिर्द जमा हो गए थे।
UN के आंकड़े डराते हैं, भूख अब हथियार बन चुकी है
संयुक्त राष्ट्र का कहना है कि मई 2025 से अब तक 1,300 से ज्यादा लोग खाना ढूंढते-ढूंढते मौत के घाट उतर चुके हैं।
ग़ज़ा में हालात ऐसे हैं कि इंसानों की भीड़ अब राहत ट्रकों के नीचे कुचली जा रही है – और ये केवल आंकड़े नहीं, ज़िंदा लाशें हैं।
हमास और इसराइली सेना – दोनों के पास जवाब नहीं
हमास के मीडिया ऑफिस और नागरिक सुरक्षा एजेंसी ने हादसे की पुष्टि की है। इसराइली सेना का कहना है कि वे रिपोर्ट की जांच कर रहे हैं।
अंतरराष्ट्रीय मीडिया को ग़ज़ा में ग्राउंड रिपोर्टिंग की अनुमति नहीं है, जिससे सच्चाई पर परदा पड़ा हुआ है।
जंग का लेखा-जोखा: मौत की गिनती जारी
ग़ज़ा के हमास संचालित स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार:
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पिछले 24 घंटे में 138 लोग इसराइली हमले में मारे गए
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कुल मृतकों की संख्या: 61,158
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अस्पतालों में 771 घायल पहुंचे
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राहत पाने की कोशिश में 87 की मौत, 570 घायल
कहां है इंसानियत का नक्शा?
इस पूरे संघर्ष में अगर कुछ सबसे ज्यादा घायल हुआ है, तो वो है इंसानियत। ग़ज़ा के बच्चे, महिलाएं और आम नागरिक – सभी की ज़िंदगी एक बम, एक गोली या अब एक ट्रक की चपेट में खत्म हो रही है।
सवाल उठता है – क्या भूख अब युद्ध का नया हथियार बन चुकी है?
इस ट्रक हादसे की खबर सिर्फ एक दुर्घटना नहीं, बल्कि उस भूख और बेबसी की चीख है जिसे अब कोई सुनना नहीं चाहता।
दुनिया युद्ध के पॉलिटिक्स में उलझी है, पर ग़ज़ा की सड़कों पर लाशें भूख की कीमत चुका रही हैं।
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