
ग़ज़ा में जारी इसराइल-हमास संघर्ष को लेकर एक बार फिर शांति वार्ता की टेबल सज चुकी है — और अब इसमें एंट्री हुई है अमेरिका के भारी भरकम नामों की। बुधवार को अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के दामाद और पूर्व सलाहकार जैरेड कुशनर और विशेष दूत स्टीव विटकॉफ़ मिस्र में हो रही वार्ता में शामिल होंगे।
मिस्र में ‘बिना सीधे बात किए’ बातचीत जारी, लेकिन अब तक नतीजा ‘शून्य’
ग़ज़ा संघर्ष से जुड़ी यह वार्ता अप्रत्यक्ष है — यानी इसराइली और हमास के प्रतिनिधि एक-दूसरे से सीधे नहीं, बल्कि मध्यस्थों के ज़रिए बातचीत कर रहे हैं।
मंगलवार को दूसरे दिन की बातचीत बिना किसी ठोस निष्कर्ष के खत्म हो गई।
“शायद ला सकें शांति” – ट्रंप का भरोसे वाला बयान
डोनाल्ड ट्रंप, जो फिर से राष्ट्रपति पद के दावेदार हैं, ने बयान दिया कि “संभव है कि हम मध्य पूर्व में शांति ला सकें।”
उनकी यह लाइन उतनी ही क्लासिक है जितनी उनकी हेयरस्टाइल — लेकिन क्या इससे युद्ध रुक जाएगा? यह सवाल अब भी हवा में है।
“हम पीछे नहीं हटेंगे” – नेतन्याहू का सख़्त संदेश
इसराइल के प्रधानमंत्री बिन्यामिन नेतन्याहू ने एक्स (Twitter) पर पोस्ट करते हुए कहा कि “हम अपने युद्ध लक्ष्यों तक पहुंचने तक रुकेंगे नहीं।”
उनके अनुसार तीन मुख्य लक्ष्य हैं:

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सभी बंधकों की वापसी
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हमास शासन का अंत
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ग़ज़ा अब इसराइल के लिए ख़तरा न बने
यानि एक ओर बातचीत, दूसरी ओर युद्ध का रिमोट ऑन।
शांति के नाम पर ‘पॉलिटिक्स’ और ज़मीनी हकीकत में ‘ब्लडशेड’
ग़ज़ा, इसराइल और हमास के बीच यह संघर्ष 2021 के बाद से अब तक हज़ारों जानें ले चुका है। अब जब अमेरिका जैसे बड़े खिलाड़ी वार्ता में कूद रहे हैं, उम्मीदें हैं — लेकिन साथ में शंकाएं भी। क्या ये वार्ता “डिप्लोमैटिक फोटोशूट” भर साबित होगी, या वाक़ई शांति की कोई रोशनी दिखेगी?
यह आने वाला हफ्ता तय करेगा।