
ग़ज़ा पट्टी के दक्षिणी हिस्से में स्थित नासेर अस्पताल पर हुए इजरायली हमले में कम से कम 15 लोगों की जान चली गई। मृतकों में चार पत्रकार भी शामिल हैं, जो अंतरराष्ट्रीय मीडिया से जुड़े हुए थे। ये हमला ऐसे समय में हुआ जब वहां घायल नागरिकों का इलाज किया जा रहा था।
पत्रकारों को भी नहीं बख्शा गया
इस दर्दनाक हमले में जिन पत्रकारों की मौत हुई, उनके नाम हैं:
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हुसाम अल-मसरी – रॉयटर्स कैमरामैन
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मोहम्मद सलामेह – अल जज़ीरा
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मरियम अबू दका – एसोसिएटेड प्रेस
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मुआथ अबू ताहा – एनबीसी (अमेरिकी नेटवर्क)
ये सभी पत्रकार मौके की ग्राउंड रिपोर्टिंग कर रहे थे। रिपोर्ट्स के मुताबिक, पहला हमला होते ही जब बचावकर्मी और पत्रकार मौके पर पहुंचे, तभी दूसरा स्ट्राइक हुआ।
वीडियो फुटेज में दिखा खौफनाक मंजर
वायरल हो रहे वीडियो में देखा जा सकता है कि अस्पताल से धुएं के गुबार उठ रहे हैं। एक क्लिप में एक डॉक्टर खून से सने कपड़े दिखा रहा होता है, तभी एक और धमाका होता है, और कैमरा हिलने लगता है।

यह घटना बताती है कि ये हमले सिर्फ बम नहीं गिरा रहे, बल्कि सच बोलने वालों को भी चुप कराना चाहते हैं।
इजरायली प्रतिक्रिया का इंतजार
इस घटना पर अब तक इजरायली सेना और प्रधानमंत्री कार्यालय की कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है। वहीं, हमास-नियंत्रित सिविल डिफेंस ने दावा किया कि हमला जानबूझकर किया गया और राहतकर्मियों को भी निशाना बनाया गया।
प्रेस की स्वतंत्रता पर हमला?
यह घटना वैश्विक पत्रकारिता समुदाय के लिए एक बड़ा झटका है। जब पत्रकार ही सुरक्षित नहीं हैं, तो जनता तक सच कैसे पहुंचेगा?
प्रेस फ्रीडम पर हो रहे हमलों को लेकर दुनियाभर में चिंता और आक्रोश जताया जा रहा है।
ये सिर्फ एक स्ट्राइक नहीं, बल्कि चेतावनी है
ग़ज़ा के अस्पताल पर हुआ ये हमला, और उसमें पत्रकारों की मौत, केवल एक खबर नहीं है। यह मानवता, पत्रकारिता और निष्पक्ष रिपोर्टिंग पर हुआ हमला है।
अब सवाल ये नहीं कि कौन सही है या कौन गलत। सवाल है: क्या हम सच्चाई की आवाज़ों को यूं ही मिटते देखेंगे?
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