सिंध में हिंदू बच्चों का जबरन धर्मांतरण: शाहदादपुर की नयी दुःस्वप्न कहानी

Ajay Gupta
Ajay Gupta

सिंध से आई शर्मनाक घटना ने फिर झकझोर दिया है इंसानियत को।  सिंध के शाहदादपुर में एक कंप्यूटर टीचर फरहान खासखेली पर चार हिंदू भाई-बहनों को अगवा कर जबरन इस्लाम कबूल कराने का आरोप लगा है। बच्चों की उम्र देखें तो मामला किसी ‘धर्म सम्मेलन’ जैसा नहीं, बल्कि ‘मासूमियत के हरण’ जैसा लगता है। 13 साल का बच्चा धर्म समझेगा या कंप्यूटर का Home बटन ढूंढेगा?

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मां की गुहार: मेरे बच्चे हैं, धर्म नहीं!

बच्चों की मां का कहना है कि उनकी तीन बेटियां और एक बेटा कंप्यूटर क्लास के बहाने फुसला लिए गए। उनका आरोप है—फरहान ने बच्चों को बहकाया, बहलाया और फिर ‘कबूल’ करवा दिया। “कोई EMI स्कीम होती तो चलो समझ आता, यहां धर्म का जबरन डाउन पेमेंट करा दिया गया!”

वीडियो वायरल: धर्मांतरण LIVE टेलीकास्ट!

सोशल मीडिया पर एक वीडियो भी वायरल हो रहा है जिसमें बच्चों का ‘धर्मांतरण समारोह’ दिखाया गया है। लगता है पाकिस्तान अब ‘रियलिटी शो’ भी धर्म बदलवाकर बनवाने लगा है। TRP मिले न मिले, इंसानियत जरूर मारी जा रही है!

हिंदू पंचायत की सख्त प्रतिक्रिया: ये तो ‘सांस्कृतिक अपहरण’ है

पंचायत प्रमुख राजेश कुमार ने कहा कि ये बच्चे अभी इतने परिपक्व नहीं कि धर्म बदलने का फैसला खुद लें। ये धर्मांतरण नहीं, ‘अल्पसंख्यक अपहरण नीति’ है, जो पाकिस्तान में हर साल कुछ सौ मामलों के रूप में खुद को अपडेट करती रहती है। हर साल अपडेट… जैसे Play Store से धर्म का नया वर्जन डाउनलोड हो रहा हो!

कोर्ट का फैसला: कुछ आश्रय में, कुछ घर वापस!

पाकिस्तानी मीडिया ने दावा किया कि पुलिस ने बच्चों को बरामद कर लिया है। दो बालिग लड़कियों को आश्रय गृह भेज दिया गया है, और नाबालिगों को परिजनों को सौंपा गया। कहानी में ट्विस्ट ये है कि – धर्म तो बदला, पर नियति नहीं।

मीडिया का चमत्कार: “बच्चे खुद बदलना चाहते थे धर्म”

पाक मीडिया का यह बयान कि बच्चों ने ‘स्वेच्छा’ से धर्म बदला—इतना विश्वसनीय है जितना “किसी बच्चे का कहना कि उसे मैथ्स से प्यार है!”
जिस देश में पुलिस की मौजूदगी में भी सच्चाई डरी-सहमी हो, वहां कबूलनामा कितना ‘फ्री-विल’ से होगा, बताने की जरूरत नहीं।

धर्म बदलने की उम्र या खेल खेलने की?

13 साल का हरजीत धर्म क्यों बदलेगा?
16 साल की दिशा क्या ‘धार्मिक आत्मज्ञान’ में डूबी हुई थी?
या फिर यह एक और अध्याय है उस पाकिस्तान की कहानी का—
जहां अल्पसंख्यकों को अधिकार नहीं, बस ‘धार्मिक विकल्प’ दिए जाते हैं।

जब बच्चों की उम्र खेलने की हो, लेकिन सिस्टम उन्हें धर्म बदलने के लिए इस्तेमाल करे, तो धर्म का नहीं, इंसानियत का अंतिम संस्कार हो जाता है।

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