
17 साल की सना यूसुफ़, जो टिकटॉक पर अपने अंदाज़ और कॉन्फिडेंस के लिए जानी जाती थीं, अब एक भयानक खबर की सुर्खी बन चुकी हैं। इस्लामाबाद में उनके घर के अंदर अज्ञात हमलावर ने सना को गोली मार दी — वो भी सरेशाम, जबकि घर में सिर्फ उनकी मां और देवर मौजूद थे।
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घर नहीं, किला बनना चाहिए था
FIR के मुताबिक, एक संदिग्ध व्यक्ति सीधे घर में घुसा, बिना किसी डर के सना के कमरे में गया और छाती पर दो गोलियां दाग दीं। न कोई चोरी, न कोई डकैती — सीधा टारगेट किलिंग। सवाल ये है कि क्या ये महज़ इत्तेफाक था, या सना की बढ़ती सोशल मीडिया लोकप्रियता किसी की ‘ईगो’ पर भारी पड़ गई?
वायरल लाइफ, वॉयलेंट एंडिंग
81 हज़ार फॉलोअर्स, लाखों व्यूज़ और हज़ारों लाइक्स — टिकटॉक की दुनिया में सना का नाम था। लेकिन ये नाम शायद किसी के लिए खतरनाक लगने लगा। क्या ये कोई पर्सनल दुश्मनी थी या एक महिला इनफ्लुएंसर का होना ही पाकिस्तान में अपराध बन गया है?
सीसीटीवी, सवाल और साज़िश
पुलिस को घटनास्थल से सीसीटीवी फुटेज और कई तकनीकी सबूत मिल चुके हैं। अधिकारियों का दावा है कि संदिग्ध की पहचान हो चुकी है और जल्द गिरफ़्तारी होगी। लेकिन क्या इससे एक और सना को गोली लगने से रोका जा सकेगा?
फेम या ट्रैजेडी टिकट?
पाकिस्तान में यह पहला मामला नहीं है। इससे पहले भी महिला टिकटॉकर्स पर हमले, ट्रोलिंग और मर्डर हो चुके हैं। सवाल ये है कि क्या टिकटॉक अब सिर्फ ‘ट्रेंडिंग’ का मंच रह गया है या ‘टारगेटिंग’ का?
केक से गोली तक: एक दिन में सबकुछ बदल गया
सना की आख़िरी इंस्टाग्राम पोस्ट एक बर्थडे वीडियो थी — खुशियाँ, केक और मुस्कान। अगले ही दिन, वही लड़की खून से लथपथ अस्पताल पहुंची, लेकिन ज़िंदगी वहां खत्म हो चुकी थी। ये सोशल मीडिया की वो काली हक़ीक़त है, जिसे कोई फिल्टर नहीं छुपा सकता।