
मर्डर मिस्ट्री के बाद अब वर्दी मिस्ट्री! इंदौर के राजा रघुवंशी हत्याकांड की जांच के बीच एक चौंकाने वाली घटना सामने आई — जब आरपीएफ थाना प्रभारी की वर्दी में एक शख्स पीड़ित परिवार से मिलने आ गया।
परिवार को मामला कुछ “ज्यादा फिल्मी” लगा, और उन्होंने राजेंद्र नगर पुलिस को सूचना दी। जब पुलिस ने पूछताछ की, तो सामने निकली एक और लेयर — ये महाशय असली अफसर नहीं, बल्कि पूर्व बर्खास्त कांस्टेबल निकले!
कौन है ये बजरंगलाल जाट?
नाम: बजरंगलाल जाट
उम्र: 45 साल
पता: चुरू, राजस्थान
स्टेटस: पूर्व आरपीएफ कांस्टेबल (बर्खास्त)
बजरंगलाल का दावा था कि उसने 10 साल पहले उज्जैन में महाकाल मंदिर में राजा रघुवंशी से दोस्ती की थी और हत्या की खबर सुनकर वह मिलने चला आया।
हालांकि पुलिस ने कहा, “ये इमोशनल ड्रामा कम और धोखाधड़ी ज्यादा लग रही है।”
‘वर्दी प्रेम’ ने कराई गिरफ्तारी
थाना प्रभारी नीरज बिरथरे ने बताया कि बजरंगलाल चार-पांच साल पहले नौकरी से निकाले जा चुके थे। पर ‘वर्दी का मोह’ ऐसा था कि साहब अब भी घूमते थे आरपीएफ इंस्पेक्टर बनकर — बस, रैंक थी ग़ायब और इरादे थे धुंधले।
उन्हें भारतीय दंड संहिता की धारा 205 (सरकारी पद का झूठा दावा) के तहत गिरफ्तार किया गया है।
राजा रघुवंशी हत्याकांड की पृष्ठभूमि
23 मई को रघुवंशी हनीमून पर मेघालय गए थे। वहाँ से लापता हुए। 2 जून को उनका शव एक गहरी खाई में झरने के पास मिला।
जाँच में सामने आया कि हत्या उनकी पत्नी सोनम, कथित प्रेमी राज कुशवाहा, और उनके छह साथियों ने मिलकर की थी। इस केस की क्राइम-थ्रिलर वाली पटकथा ने देशभर में हलचल मचा दी थी।

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बर्खास्त अफसर खुलेआम वर्दी पहनकर कैसे घूम रहा था?
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क्या वह वाकई दोस्त था या जानकारी हासिल करने आया था?
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इतने संवेदनशील केस में परिवार की सुरक्षा कितनी पुख्ता है?
“हर किसी को नहीं मिलती ये यूनिफॉर्म वाली फ़ीलिंग…”
अगर बजरंगलाल जाट फिल्मों के ऑडिशन में जाते, तो शायद पुलिसवाले का किरदार मिल जाता, पर रियल लाइफ में धोखा देने की कोशिश करना उन्हें CID नहीं, जेल ले गया।
“वर्दी पहनने से आदमी पुलिस नहीं बनता, और गूगल से कानून पढ़ लेने से वकील नहीं!”
इंदौर का यह केस सिर्फ हत्या ही नहीं, बल्कि उस सामाजिक संकट को भी उजागर करता है जहां लोग वर्दी, सिस्टम और संवेदना का दुरुपयोग कर रहे हैं। वक्त है कि कानून सिर्फ आरोपियों पर ही नहीं, ऐसे फर्जी पात्रों पर भी सख्ती से लागू हो।
“भक्ति में डूबी ताडोंग की गलियाँ, कलश यात्रा में उमड़ा श्रद्धा का सागर!”