
शादी में फूल बरसाने और इंस्टाग्राम रील बनाने वाला ड्रोन, अब क्राइम के आकाशीय हथियार में बदल चुका है। उत्तर प्रदेश में चोरों के एक शातिर गिरोह ने चोरी की परंपरागत परिभाषा ही बदल दी है।
न ताले टूटे, न दरवाज़े हिले। बस एक रात, आसमान से एक चमचमाता डिब्बा आया… और सामान उड़ाकर ले गया।
कैसे खुला ‘ड्रोन-चोरों’ का राज़?
कुछ महीनों पहले दूरदराज़ के गाँवों से शिकायतें आने लगीं – “सामान गायब, लेकिन घर बिलकुल सुरक्षित!”
एक रात एक चौकन्ने ग्रामीण ने छत पर हल्की भनभनाहट सुनी। देखा – एक रोशनी टिमटिमा रही थी… ड्रोन!
…और फिर उसी ड्रोन के पंजे ने झपट्टा मारा और सामान लेकर उड़ गया।
गाँव से शहर तक… ड्रोन का कहर
इस ‘हवाई’ गिरोह ने पहले गाँवों को टारगेट किया, फिर मेरठ, गाज़ियाबाद, नोएडा, मुरादाबाद जैसे शहरी इलाकों में भी धावा बोला।
छतों पर सुखते कपड़े, खुले खिड़की से दिखते अलमारियों के झरोखे, बालकनी में रखे पर्स, मोबाइल, गहने …इन सब पर ड्रोन की 360° नज़र।
पहले दिन में रेकी, फिर रात को रेड
यह गिरोह अपने काम में प्योर प्रोफेशनलिज्म दिखा रहा है:
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दिन में रेकी
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GPS लोकेशन सेट करना
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ड्रोन में कैमरा + पंजा अटैच करना
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रात को अंधेरे में मिशन एक्सीक्यूट
और आप सोचते थे “बैंक डकैती” वाला ज़माना गया? नहीं, वो अब फ्लाइंग मोड में लौट आया है।
पुलिस की नई परीक्षा: चोर जमीन पर नहीं, हवा में हैं!
UP पुलिस अब तक फुटप्रिंट और फिंगरप्रिंट से चोर पकड़ती थी, अब ड्रोन के वाई-फाई और रेडियो फ्रीक्वेंसी ट्रैक कर रही है।
स्पेशल एंटी-ड्रोन यूनिट बनाई गई है। तकनीकी एक्सपर्ट्स की मदद ली जा रही है। लोगों को भी किया जा रहा है जागरूक – “खिड़कियां-छत बंद रखें।”
टेक्नोलॉजी: वरदान या सरदर्द?
जहां एक ओर टेक्नोलॉजी ने लोगों को शादी में ‘एरियल शॉट्स’ दिए, वहीं अब उसी टेक्नोलॉजी से लोग अपना मंगलसूत्र गंवा बैठ रहे हैं।
आकाश में उड़ता खतरा, अब सतर्क रहना ज़रूरी
ड्रोन चोरों का यह मामला सिर्फ कानून-व्यवस्था का इम्तिहान नहीं, समाज की जागरूकता का भी टेस्ट है। यह दिखाता है कि अपराधी अब तकनीक में भी डिग्री ले चुके हैं। अब सवाल यह है – क्या UP पुलिस इस ‘हवाई आतंक’ पर लगाम लगा पाएगी?
या फिर हमें खुद ही छतों पर रडार और अलार्म सिस्टम लगाने होंगे?
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