
अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने आधिकारिक रूप से भारत पर 25% टैरिफ लगाने का ऐलान कर दिया है। इसके साथ ही ट्रंप ने दुनिया को अपने ही अंदाज़ में चेतावनी दी — “रेसिप्रोकल टैरिफ लगेगा, जो दोगे वो ही मिलेगा!”
अब तक अमेरिका भारत से आने वाले सामान पर औसतन 10% टैरिफ लगाता था, लेकिन अब सीधा 25%—मतलब “छूट खत्म, अब रेट वसूलेंगे”।
ज्यादा झटका किन्हें?
ट्रंप के फैसले का सीधा असर उन सेक्टर्स पर पड़ेगा जो अमेरिका को सबसे ज्यादा माल भेजते थे:
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टेक्सटाइल और वस्त्र उद्योग
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इलेक्ट्रॉनिक्स
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रत्न और आभूषण (ज्वेलरी)
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सीफूड यानी झींगे-झींगा पार्टी खत्म!
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ऑटोमोबाइल और ऑटो पार्ट्स
अब झींगे भेजने से पहले भारतीय निर्यातक भी पूछेंगे – “पहले डॉलर दो, फिर माल लो!”
70 देशों पर पड़ेगा असर – अमेरिका अब सीधा हिसाब करेगा
ट्रंप ने सिर्फ भारत ही नहीं, बल्कि करीब 70 देशों को रेसिप्रोकल टैरिफ में लपेट लिया है। यानी जिसने अमेरिका को ज्यादा टैरिफ में घेरा था, अब अमेरिका भी उतना ही “टोल वसूलेगा”।
पहले देश अमेरिका पर 10% से ज्यादा टैक्स लगाते थे, अब अमेरिका ने कहा – “मित्रता अपनी जगह, लेकिन बिल भी बराबरी से देना होगा!”
क्या है रेसिप्रोकल टैरिफ?
यह एक “जैसे को तैसा” टाइप कर प्रणाली है।
मतलब अगर देश A, देश B के उत्पादों पर 30% टैरिफ लगाएगा, तो देश B भी देश A से आने वाले सामान पर उतना ही टैक्स लगा सकता है।
डोनाल्ड ट्रंप का कहना है कि भारत, चीन, कनाडा जैसे देश अमेरिका पर पहले से ज्यादा टैक्स लगा रहे हैं। अब “अमेरिका भी टैक्स का करारा जवाब देगा”।
भारत के पास अब क्या विकल्प हैं?
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अमेरिकी कंपनियों के साथ मिलकर जॉइंट प्रोडक्शन मॉडल बनाना
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यूरोप, आसियान और अफ्रीका जैसे बाजारों में व्यापार बढ़ाना
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मूल्य प्रतिस्पर्धा के जरिए अमेरिकी बाजार में टिके रहना
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WTO में डिप्लोमैटिक और कानूनी दांव-पेच
भारतीय कंपनियों के लिए यह समय है “Make in India, Sell in Europe” की सोच अपनाने का।
टैरिफ वॉर से ट्रेड वॉर की ओर?
विशेषज्ञों का मानना है कि टैरिफ रोज-रोज बढ़ते रहे तो ये “ट्रेड वॉर” का रूप ले सकता है।
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रोज नया टैक्स, रोज नया टेंशन
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विदेशी ग्राहक भारत से मुंह मोड़ सकते हैं
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प्रोडक्शन चेन बाधित हो सकती है
जैसा सिटुएशन बन रही है, कंपनियां भी कह रही हैं – “बिजनेस करें या टैक्स कैलकुलेटर चलाएं?”
झींगे से ज्वेलरी तक अब सब टैक्स में फंसा
ट्रंप के टैरिफ बम ने भारत के लिए मुश्किलें खड़ी कर दी हैं। अब भारत को रणनीति, साझेदारी और सब्र के साथ इस संकट से निकलना होगा।
आखिर में यही कहना होगा – “ग्लोबलाइजेशन का दौर है, लेकिन ट्रंप जी ने बताया – टैक्स पहले, दोस्ती बाद में!”