
24 नवंबर बॉलीवुड के लिए काला सोमवार साबित हुआ। हिंदी सिनेमा के ‘ही-मैन’ धर्मेंद्र 89 वर्ष की उम्र में अपने जुहू स्थित घर पर अंतिम सांस लेकर इस दुनिया को विदा कह गए।
लंबे समय से उनकी तबीयत नाज़ुक थी और 12 नवंबर को ब्रीच कैंडी हॉस्पिटल से डिस्चार्ज होने के बाद वह घर पर ही इलाज करा रहे थे।
उनके जाने से ऐसा लगता है जैसे हिंदी सिनेमा का एक पूरा युग—एक चमकदार, दमदार, मुस्कुराता हुआ युग—अचानक ख़ामोश हो गया।
विदाई: देओल परिवार की आंखें नम
विले पार्ले स्थित पवन हंस श्मशान भूमि पर धर्मेंद्र का अंतिम संस्कार संपन्न हुआ। हेमा मालिनी, ईशा देओल, सनी देओल, बॉबी देओल, सभी परिवारजन के साथ-साथ कई दिग्गज कलाकार मौजूद रहे। अमिताभ बच्चन, जो धर्मेंद्र के सदाबहार दोस्त रहे हैं, आख़िरी विदाई देने पहुंचे—आंखों में भर आए आंसुओं के साथ।
हालांकि, सबसे भावुक पल वह था… जब सनी देओल ने अपने पिता को मुखाग्नि दी।
निधन से ठीक पहले ‘इक्कीस’ का मोशन पोस्टर रिलीज… कितना दर्दनाक संयोग!
जीवन ने मानो एक कड़वी फिल्मी किस्मत दिखा दी हो— जिस दिन धर्मेंद्र का निधन हुआ, उसी दिन उनकी आने वाली फिल्म “इक्कीस” का मोशन पोस्टर रिलीज हुआ।
फैंस के लिए यह एक झटका है कि जिस स्क्रीन आइकन को वे देखने वाले थे, वह अब पर्दे के पीछे जा चुका है—हमेशा के लिए।
लास्ट कुछ हफ्ते: सांस लेने की दिक्कत और ICU का संघर्ष
पिछले एक महीने से उन्हें सांस लेने में दिक्कत थी। अस्पताल में वेंटिलेटर सपोर्ट तक देना पड़ा। 89 की उम्र में लगातार अस्पताल ट्रैवल मुश्किल था…इसलिए उन्होंने “सारे टेस्ट एक साथ कराने” का फैसला किया और अस्पताल में कुछ दिन रुकना पड़ा। उनके दोनों बेटे—सनी और बॉबी—फिल्मों की शूटिंग के बीच भी लगातार हेल्थ अपडेट लेते रहे।
90वां जन्मदिन आने ही वाला था
धर्मेंद्र 8 दिसंबर को अपना 90वां जन्मदिन मनाने वाले थे। लेकिन किस्मत को कुछ और ही मंजूर था। फैंस उनके लिए एक भव्य ट्रिब्यूट की तैयारी कर रहे थे—और ज़िंदगी ने उनके लिए आखिरी सीन लिख दिया।
पंजाब के गांव से बॉलीवुड का हीरो बनने का सफर
8 दिसंबर 1935 को लुधियाना के नसराली गांव में जन्मे धर्मेंद्र का असली नाम था- केवल कृष्ण देओल।
उनके पिता स्कूल के प्रिंसिपल थे। साहनेवाल और लालटन कलां में उन्होंने अपनी स्कूली पढ़ाई की—बिल्कुल सादा, बिल्कुल देसी माहौल में।
पहली शादी और परिवार
19 साल की उम्र में धर्मेंद्र ने प्रकाश कौर से शादी की। इस शादी से उनके चार बच्चे हुए—सनी देओल, बॉबी देओल, विजेता और अजीता।
हेमा मालिनी: धर्मेंद्र की लाइफ की दूसरी कहानी
फिल्मी दुनिया में आने के बाद धर्मेंद्र की ज़िंदगी में हेमा मालिनी आईं। उनकी जोड़ी पर जितनी फिल्में बनीं, उतनी ही चर्चाएं भी हुईं—किसी ने इसे रोमांस कहा, किसी ने कॉन्ट्रोवर्सी।

हेमा मालिनी से दो बेटियां—ईशा और अहाना देओल हुईं।
धर्मेंद्र ने हमेशा कहा-“मैंने कभी किसी को छोड़ा नहीं… बस जिंदगी ने नए किरदार दिए।”
फिल्मी सफर: ‘दिल भी तेरा हम भी तेरे’ से ‘शोले’ तक का राज
1960 में ‘दिल भी तेरा हम भी तेरे’ से डेब्यू करने वाले धर्मेंद्र 60s और 70s में लगातार सुपरहिट मशीन बन गए।
उनकी कुछ आइकॉनिक फिल्में:
- फूल और पत्थर
- आए दिन बहार के
- मेरा गांव मेरा देश
- यादों की बारात
- सीता और गीता
- प्रतिज्ञा
- धरम वीर
- चुपके चुपके
- शोले
- गुलामी
- द बर्निंग ट्रेन
हिंदी सिनेमा ने उन्हें “ही-मैन” का टाइटल दिया—और उन्होंने कभी इसे उतरने नहीं दिया।
300+ फिल्मों का रिकॉर्ड और 7 सुपरहिट एक ही साल में
धर्मेंद्र ने 300 से ज्यादा फिल्मों में काम किया। 1987 में उन्होंने एक ही साल में 7 लगातार हिट दीं—ये रिकॉर्ड आज भी कमाल माना जाता है।
बुढ़ापे में भी एक्टिव—’मेट्रो’, ‘अपने’, ‘रॉकी और रानी’ तक
उम्र के आख़िरी हिस्से में भी धर्मेंद्र स्क्रीन पर उतने ही दिलकश नजर आए:
- लाइफ इन ए… मेट्रो
- अपने
- यमला पगला दीवाना
- जॉनी गद्दार
- रॉकी और रानी की प्रेम कहानी
- तेरी बातों में ऐसा उलझा जिया
वो हमेशा कहते थे- “लोग कहते हैं मैं बूढ़ा हो गया… पर दिल अभी भी जवान है।”
धर्मेंद्र गए नहीं… अमर हो गए
धर्मेंद्र भले अब शरीर से मौजूद न हों— लेकिन उनकी फिल्में, उनका अंदाज़, उनका डायलॉग डिलीवरी, उनकी मुस्कान… हमेशा–हमेशा जिंदा रहेंगी।
वो सिर्फ हीरो नहीं थे— वो युग थे। और युग मरते नहीं… यादों में बदल जाते हैं।
