दिल्ली में 500-1000 के पुराने नोटों का जखीरा बरामद, नोटबंदी पर बड़ा सवाल

शालिनी तिवारी
शालिनी तिवारी

साल 2016 में जब सरकार ने कहा था “500 और 1000 रुपये के नोट अब बंद!”
तो सबने सोचा था— “इतिहास बन गया… अब ये नोट सिर्फ बच्चों के खेल में मिलेंगे।”

लेकिन दिल्ली में जो हुआ वह पूरी तरह ‘Plot Twist of the Decade’ था— क्राइम ब्रांच ने 3.5 करोड़ रुपये के पुराने नोट बरामद किए और एक पूरा गैंग पकड़ा दिया। लगता है मार्केट से नोट हटे हों या न हटे हों… जुगाड़ इंडिया में कभी खत्म नहीं होता!

गुप्तचर की सूचना—नकली नहीं, असली पुराने नोटों का गोरखधंधा

दिल्ली क्राइम ब्रांच को खुफिया सूचना मिली कि कोई गैंग 500 और 1000 रुपये के बंद हो चुके नोटों का धंधा कर रहा है।
टीम तुरंत हरकत में आई और शालीमार बाग मेट्रो स्टेशन के पास दबिश दी।

क्या मिला?

4 आरोपी, एक बैग और बैग से झरता हुआ पुरानी करेंसी का ‘नोट बरसात’। गिनती की गई तो रकम निकली—3.5 करोड़ रुपये।

सवाल उठता है— “इतने सालों बाद ये नोट आखिर कहां से पैदा हो रहे हैं?”

गिरफ्तार आरोपी कौन?

क्राइम ब्रांच ने जिन 4 लोगों को पकड़ा, उनके नाम— हर्ष, टेक चंद, लक्ष्य और विपिन कुमार।

पूछताछ में पता चला— ये लोग बंद हो चुकी करेंसी को बहुत कम कीमत में खरीदते थे और आगे बेचकर मुनाफा कमाते थे।

अब पुलिस पता लगा रही है कि इनके पीछे ‘मास्टमाइंड प्रेस’ कौन है—जहां से सालों बाद अचानक पुराने नोटों का पहाड़ निकल पड़ा।

मिलावट में नहीं—सीधा बंद हुई करेंसी में धंधा!

रेड में मिला— करेंसी से भरा बैग, दो कारें और आरोपियों का पूरा ‘बिजनेस मॉडल’, जो किसी OTT क्राइम वेब सीरीज़ से कम नहीं। न नोटों का हिसाब, न कोई दस्तावेज—बस बंद करेंसी को जिंदा रखने का ‘इमोशनल अटैचमेंट’!

कानून क्या कहता है?

2016 नोटबंदी के बाद— पुराने 500 और 1000 रुपये के नोट रखना भी अपराध। स्टॉक करना अपराध। खरीदना-बेचना अपराध और इनके साथ डील करना भी अपराध। इन सभी धाराओं में केस दर्ज कर लिया गया है।

सवाल अभी भी वही—पुराने नोट आए कहां से?

9 साल बाद भी अगर बंद करेंसी बाजार में घूम रही है, तो कहीं न कहीं बड़ी प्रिंटिंग लाइन अभी भी सांस ले रही है। नोटबंदी के बाद सरकार ने कहा था कि “सारा स्टॉक बैंकिंग सिस्टम में वापस आ गया है।”

तो फिर ये 3.5 करोड़ का भूत किसकी तिजोरी से निकला?

Story अभी खत्म नहीं हुई—Police Investigation On!

सुप्रीम कोर्ट की कड़ी टिप्पणी — “Insensitive Remarks? Not Allowed!”

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