
कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने सोशल मीडिया पर पोस्ट कर प्रधानमंत्री मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की ‘गहरी दोस्ती’ पर सवाल उठाते हुए कहा:
“ये दोस्ती हम नहीं तोड़ेंगे” गाना बज रहा था, लेकिन अमेरिका ने प्लेलिस्ट ही बदल दी।
उन्होंने चार ठोस उदाहरणों के जरिए बताया कि कैसे भारत की विदेश नीति का किला ‘फ्रेंडशिप ब्रांडिंग’ में ढह गया।
ऑपरेशन सिंदूर: ट्रंप का दखल, भारत का इंकार
जयराम रमेश ने बताया कि 10 मई 2025 से अब तक ट्रंप 25 बार दावा कर चुके हैं कि उन्होंने भारत-पाक युद्ध रोकने में हस्तक्षेप किया।
ट्रंप के अनुसार,
“अगर लड़ोगे तो डील कैंसिल!”
भारत ने इस दावे को खारिज किया, लेकिन ट्रंप के बयानों ने विदेश नीति को डावांडोल कर दिया।
चीन को क्लीन चिट: पीएम की चुप्पी की बड़ी कीमत?
जयराम रमेश ने 19 जून 2020 को प्रधानमंत्री द्वारा चीन को क्लीन चिट देने को ‘रणनीतिक भूल’ बताया, जिसका खामियाज़ा अब विदेश नीति भुगत रही है।
लंच मीटिंग्स और लंचिंग करारा!
18 जून 2025 को ट्रंप ने पाकिस्तान के फील्ड मार्शल आसिम मुनीर से वाइट हाउस में लंच किया।
जयराम रमेश बोले:
“हमारे प्रधानमंत्री दोस्ती निभा रहे हैं, और उधर दावतें चल रही हैं।”
पाकिस्तान का ‘शानदार पार्टनरशिप कार्ड’
10 जून 2025 को अमेरिका की सेंट्रल कमांड के प्रमुख ने पाकिस्तान को ‘शानदार साझेदार’ बताया।
और फिर, 25 जुलाई को अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने पाकिस्तान के उप प्रधानमंत्री इसहाक डार से मुलाक़ात कर धन्यवाद तक कह डाला!
दोस्ती में दम नहीं, डिप्लोमेसी में नम!
कांग्रेस ने इस पूरे घटनाक्रम को मोदी की ब्रांडेड डिप्लोमेसी का ‘मार्केटिंग फेलियर’ बताया। एक तरफ अमेरिका पाकिस्तान को डिनर पर बुला रहा है, दूसरी ओर भारत को ‘Seen’ में डाल रहा है।
क्या कहें इसे:
विदेश नीति का ट्रेलर अच्छा था, लेकिन इंटरवल से पहले ही लीक हो गया!
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