दीपोत्सव में सीएम योगी की वनटांगियों संग दिवाली- दीप जल उठेंगे!

गौरव त्रिपाठी
गौरव त्रिपाठी

गोरखपुर से 15 किमी दूर जंगल तिकोनिया नंबर तीन का वनटांगिया गांव आज उत्साह, आस्था और अपार उमंग से भर गया है। कारण? दीपावली के दिन उनके ‘बाबा’ यानी मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ फिर से इस गांव में दीप जलाने आ रहे हैं।

गांव के हर आंगन, हर द्वार पर सफेदी, रंगाई-पुताई और सजावट ऐसी हो रही है जैसे कोई आराध्य आ रहे हों। और सच में, योगी बाबा यहां सिर्फ सीएम नहीं, जननायक और आराध्य हैं।

सीएम योगी की दीपावली: परंपरा से प्रेरणा तक

वनटांगिया समुदाय, जो दशकों तक हाशिए पर रहा — जिनके पास नागरिकता तक नहीं थी — आज सीएम योगी के नेतृत्व में गर्व से दीपावली मनाता है।
2009 से शुरू हुई यह परंपरा अब दीपोत्सव की मिशाल बन चुकी है।

गांव के बुजुर्ग मोहन कहते हैं:

“बाबा के गोड़ पड़ल त उदयार हो गइल।”

जंगल बसाया, मगर हक नहीं मिला — सौ साल की उपेक्षा

ब्रिटिश दौर में जब साखू के पेड़ों की कटाई हुई, तब इन्हीं वनटांगियों को जंगल में बसाया गया — पेड़ लगाने, जंगल संवारने। लेकिन बदले में मिला क्या?
नागरिक अधिकार, न मूलभूत सुविधाएं, सिर्फ एक झोपड़ी, एक भय, और बेदखली का डर।

आजादी के बाद भी इनकी आज़ादी अधूरी ही रही — जब तक “महराज जी” यानी योगी नहीं आए।

शिक्षा से विकास तक: योगी का संघर्ष और समर्पण

सांसद रहते हुए योगी आदित्यनाथ ने न सिर्फ़ शिक्षा, स्वास्थ्य और संरचना की नींव डाली, बल्कि गोरक्षनाथ विद्यापीठ जैसे स्कूलों की स्थापना भी की।

2009 में जब अस्थायी स्कूल बनाना शुरू किया गया, तो वन विभाग ने मुकदमा तक ठोक दिया। लेकिन योगी रुके नहीं, “जो ठान लिया, वो करके दिखाया।”

मुखिया चंद्रजीत निषाद बताते हैं:

“बाबा जवन ठान लेवलें, वोके हरहाल में पूरा कइके रहेलें।”

आज का वनटांगिया: हर घर दीप, हर द्वार विकास

सीएम बनने के बाद योगी आदित्यनाथ ने वनटांगिया गांवों को राजस्व ग्राम का दर्जा दिलाया, जिससे वे हर सरकारी योजना के पात्र बने।
आज यहां हैं:

  • पक्के मकान (मुख्यमंत्री आवास योजना से)
  • बिजली, सड़क, पीने का साफ पानी
  • स्कूल, आंगनबाड़ी केंद्र
  • राशनकार्ड, आधार, बैंक खाता
  • वृद्धा, विधवा और दिव्यांग पेंशन
  • RO वाटर मशीन, स्ट्रीट लाइट
  • कृषि भूमि के पट्टे

यह सिर्फ़ सरकारी रिपोर्ट नहीं — यह गाँव के चेहरे पर दिखता आत्मविश्वास है।

त्योहार अब अधूरा नहीं लगता

बुजुर्ग मोहन की बात हो या किसी बच्चे की चमकती आंखें — आज सबकी जुबान पर एक ही बात है:

“अब त बाबा के बिना तिउहार अधूरा लगेला।”

और यही भावना इस दीपोत्सव को बनाती है खास। जब एक जननेता अपने वचनों के साथ अपने वंचितों के बीच आता है — तो दीप जलते हैं, परछाइयां नहीं।

विकास का उजाला, वंचनाओं की विदाई

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का वनटांगिया गांवों से जुड़ाव सिर्फ़ राजनीतिक नहीं, व्यक्तिगत भी है। उन्होंने नागरिकता से लेकर गरिमा तक, सुविधा से लेकर सम्मान तक इन गांवों को दिया है।

दीपावली अब इन गांवों के लिए सिर्फ़ त्योहार नहीं, संघर्षों की जीत का उत्सव है।

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